हिमाचल में पॉवर प्रोजैक्टों पर वाटर सैस लगाने को लेकर पंजाब-हरियाणा को आपत्ति

शिमला: हिमाचल प्रदेश में पॉवर प्रोजैक्टों के ऊपर वाटर सैस लगाने पर पंजाब व हरियाणा सरकार ने आपत्ति जताई है। पंजाब विधानसभा में तो इस बारे बाकायदा प्रस्ताव पारित करके इसको वापस लेने की मांग की गई है। सूत्रों के अनुसार पंजाब ने इसको इंटर स्टेट वाटर डिसप्यूट एक्ट, 1956 का उल्लंघन बताया है। ऐसा माना जा रहा है कि पंजाब व हरियाणा की तरफ से यह आपत्ति भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) से जुड़े विवाद के चलते जताई है। हिमाचल प्रदेश की सत्ता में समय-समय पर रही सरकारें राज्य की हिस्सेदारी सरकार उत्तर क्षेत्रीय परिषद एवं केंद्र सरकार के स्तर पर होने वाली अन्य बैठकों में उठाती रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार बी.बी.एम.बी. की तरफ से परिचालित विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी 7.19 फीसदी तय की गई है। यह हिस्सेदारी 1 नवम्बर, 2011 से प्रदेश को मिलना शुरू हो गई है, लेकिन इसके बावजूद इसमें हिमाचल के कुल हिस्से की 1497.39 करोड़ रुपए (साधारण ब्याज) तथा 1525.62 करोड़ रुपए (चक्रवृद्धि ब्याज) आंकी गई है। वर्तमान समय तक यह राशि चक्रवृद्धि ब्याज सहित करीब 4,249.45 करोड़ रुपए बनती है। बी.बी.एम.बी. के अलावा शानन पॉवर प्रोजैक्ट का स्वामित्व हिमाचल सरकार को सौंपने जैसे कई विषय है।