अपने शब्दों व अपनी सोच पर नियंत्रण रखे जयराम ठाकुर : पठानिया
शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की तरफ से उनके खिलाफ की गई टिप्पणी संवैधानिक मर्यादा के विपरीत बताया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नेता प्रतिपक्ष को अपने शब्दों व अपनी सोच पर नियंत्रण रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे नेता प्रतिपक्ष के प्रमाण पत्र की जरुरत नहीं है, उनको नियमों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरी तरफ से 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराने एवं 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों को स्वीकार करने के निर्णयों को हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। ऐसे में यदि नेता प्रतिपक्ष और भाजपा इन निर्णयों पर सवाल उठाते हैं, तो इस तरह की आलोचना अवमानना के दायरे में आती है। उन्होंने कहा कि ऐसे निर्णयों की समीक्षा केवल सदन के भीतर नियमों के तहत अनुमति मिलने पर हो सकती है। यानी इन फैसलों पर सार्वजनिक तौर (पब्लिक डोमेन) पर राजनीतिक लाभ के लिए बयानबाजी करना नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी संवैधानिक अदालत विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को समझना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश का राजनैतिक स्वभाव परम्पराओं एवं नियमों का पालन करने वाला रहा है। ऐसे में वह नहीं चाहते कि उन्हें मजबूरन नियमों के तहत कोई कार्रवाई करनी पड़े। उनके निर्णयों को प्रदेश की जनता ने अपना प्रमाण पत्र दे दिया है, जिसमें 6 विधानसभा उपचुनाव में से 4 सीटों पर दल-बदल करने वालों की हार हुई है।
भाजपा के 9 विधायकों से जुड़ा मामला विचाराधीन
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सदन के भीतर भाजपा के 9 विधायकों की तरफ से हुड़दंग मचाने से जुड़ा मामला विचाराधीन है। इस मामले में भाजपा के 9 विधायकों ने लिखित तौर पर अपना जवाब दे दिया है। उन्होंने कहा कि सदन में आसन के पास आकर मर्यादाओं का उल्लंघन करने एवं प्रतियों को फाडक़र फैंकने की घटना की जानकारी रिकार्ड पर उपलब्ध है।
अगस्त में होगा विधानसभा का मानसून सत्र
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि मानसून सत्र का अयोजन अगस्त माह में होगा। उन्होंने कहा कि सत्र को 6 माह के भीतर बुलाना अनिवार्य है और यह अवधि अगस्त में पूरी होगी।