November 15, 2024

विधानसभा में आज क्या हुआ ?

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शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आज जमकर हगांमा और नारेबाजी हुई। सत्तापक्ष से नाराज विपक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद एक से अधिक बार वैल में आकर अपना विरोध दर्ज करवाया तथा नारेबाजी की। सदन में जब कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से जुड़े संशोधन विधेयक को पारित किया जा रहा था, तो उस समय भी विपक्ष ने इस पर नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष के आसन के पास पहुंचकर नारेबाजी भी। इस तरह विपक्ष ने एक बार प्रश्नकाल के दौरान तथा दूसरी बार कृषि विश्वविद्यालय से संबंधित विधेयक पारित होने पर वॉकआऊट किया। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने जब प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर श्वेत पत्र प्रस्तुत किया तो उस समय पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर नोंक-झोंक हुई तथा नाराज विपक्ष ने वैल में आकर नारेबाजी की। सदन से दूसरी बार बाहर जाने के बाद विपक्ष सदन में नहीं आया। मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के इस व्यवहार की ङ्क्षनदा की तथा अध्यक्ष के आसन के पास जाकर नारेबाजी करने पर ङ्क्षनदा प्रस्ताव को प्रस्तुत किया, जिसे बाद में पारित कर दिया गया। अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने भी विपक्ष के व्यवहार पर खेद जताया। विधानसभा में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट को सदन में प्रस्तुत करते हुए कहा कि पूर्व भाजपा सरकार हिमाचल प्रदेश पर प्रत्यक्ष देनदारियों सहित 92,774 करोड़ रुए का वित्तीय बोझ छोड़ गई है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार का वित्तीय प्रबंधन सही नहीं होने के कारण आज राज्य में पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे पर 1,02,818 रुपए का कर्ज है, जो भाजपा सरकार के सत्ता में आने से पहले 66,000 रुपए प्रति व्यक्ति था। उन्होंने कहा कि आज सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों का घाटा 5,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार ने अपने अंतिम वर्ष में 16,261 करोड़ रुपए कर्ज लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकारी खर्च को चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल किया गया, जिसमें आजादी का अमृत महोत्सव और जनमंच सहित अन्य कार्यों पर खर्च किया गया। इतना ही नहीं एच.आर.टी.सी. की बसों रैली के साढ़े 8 करोड़ रुपए भी नहीं चुकाए गए। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार का वित्तीय प्रबंधन सही नहीं होने के कारण आज हिमाचल प्रदेश कर्ज लेने वाले राज्यों की सूची में पांचवें सथान पर पहुंच गया है। सरकार को इस समय पहले लिए गए कर्ज को लौटाने के अलावा उसके ब्याज पर अधिक राशि खर्च करनी पड़ रही है। उन्होंने पूर्व सरकार पर सरकारी खर्चों से पार्टी चलाने का आरोप लगाया। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने श्वेत पत्र को जारी करते समय विपक्ष की तरफ ईशारा करते हुए कहा कि आप तो जनमंच में 6 करोड़ रुपए के फुलके खा गए, तो इस पर हंगामा हुआ। इससे पहले आज विधानसभा की कार्यवाही प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई, जिसमें विधायक यादवेंद्र गोमा और संजय रत्न की तरफ से सवाल पूछे गए। मुख्यमंत्री सुविन्दर सिंह सुक्खू और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इसके उत्तर दिए। इसके बाद विधायक विपिन सिंह परमार ने भांग की खेती से जुडे सवाल को पूछा, जिस पर मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह ने कहा कि इसको लेकर पक्ष-विपक्ष के सदस्यों की समिति गठित की गई है। यह समिति भांग की खेती को वैधानिक दर्जा देने के विकल्पों पर विचार विमर्श कर रही है। उन्होंने कहा कि यह समिति प्रदेश के कई राज्यों का दौर कर चुकी है तथा आवश्यकता करने पर उन देशों का दौरा भी करेगी, जहां पर भांग की खेती को वैधानिक तरीके से किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस दौरान कहा कि सरकार को इस मामले में जनता की राय जाननी चाहिए, क्योंकि इसके दूसरे नेगेटिव पहलू भी है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करके ही इसको लेकर निर्णय लेगी। विधायक रणधीर शर्मा ने लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग में वित्तीय वर्ष, 2022-23 के दौरान वित्तीय कटौती करने का आरोप लगाया, जिस कारण ठेकेदारों विशेषकर दिहाड़ीदारों को लंबे समय से अदायगी नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने इस पर कहा कि किसी की पेमैंट नहीं रोकी गई है। यदि कोई ऐसा मामला सामने है, तो विपक्ष उसे सरकार के ध्यान में लाए। विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने नेशनल हाइवे अधिकारियों की तरफ से उनके विधानसभा क्षेत्र से संबंधित प्रश्न का उत्तर सही नहीं मिलने की बात कही। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने प्रश्न के उत्तर में कहा कि इस विषय को लेकर डी.सी. की अध्यक्षता में बैठक होगी, जिसमें संबंधित मामले पर जवाब तलबी की जाएगी। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष की तरफ से वॉकआऊट पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह वही लोग है, जो हिमाचल प्रदेश के हितों का विरोध करते रहे हैं। इन्होंने हिमाचल प्रदेश के बनने पर भी विरोध जताया था। मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के व्यवहार पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष सहित विपक्ष का व्यवहार सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हिमाचल प्रदेश के हितों का खुद लडऩा जानती है और यदि आवश्यकता पड़ी तो अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहेगी। विधायक रवि ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की भूमि पर लद्दाख का कब्जा होने का मामला उठाया, जिस पर राजस्व मंत्री की अनुपस्थिति में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि यह मामला संवेदनशील है और इस विषय पर बैठक बुलाई जाएगी। प्रश्नकाल के दौरान विधायक नंदलाल, राजेंद्र राणा और होशयार ङ्क्षसह ने भी प्रश्न किए, जिनका संबंधित मंत्रियों की तरफ से जवाब दिया गया। भाजपा विधायक प्रकाश राणा ने सदन में एक अधिकारी को सत्ता पक्ष के नेता की तरफ से धमकाने का मामला उठाया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस नेताओं की तरफ से अधिकारियों को इस तरह से धमकाया जाना सही नहीं है और मामले पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए। मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार अधिकारियों और कर्मचारियों के हितों के प्रति वचनबद्ध है और यदि कोई उनके साथ दुव्र्यव्यहार करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 4 विधेयक प्रस्तुत किए गए। इसमें हिमाचल में नगर निगम कर्मचारियों व अधिकारियों का स्टेट काडर करने संबंधी विधेयक मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने पेश किया। इससे पहले विधानसभा के सत्र में न होने की वजह से सरकार निगम ककर्मचारियों का स्टेट काडर बनाने बारे अध्यादेश लाया गया था। संशोधन विधेयक के पेश होने के बाद सदन में पेश होने के बाद अध्यादेश निरस्त हो गया है। नगर निगम सेवाएं संशोधन विधेयक को प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहले एक मात्र शिमला नगर निगम ही था। उन्होंने कहा कि अब प्रदेश में सोलन, धर्मशाला, पालमपुर व मंडी नगर निगम भी हैं। लिहाजा नर निगम के कार्मिकों अधिकारियों का स्टेट काडर बनाना आवश्यक हो गया है। विधेयक के पारित होने के बाद नगर निगमों में सेवारत 3 दर्जन से अधिक श्रेणियों के अधिकारियों व कार्मिकों का स्टेट काडर होगा। अर्थात इन्हें किसी भी नगर निगम में तबदील किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने सडक़ द्वारा कतिपय माल के वहन में कर की दरों में विषमता को खत्म करने के मकसद से कराधान संशोधन विधेयक 2023 सदन में पेश किया। संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश में सडक़ मार्ग पर चलने वाले वाहनों से ले जाए जाने वाले सामान पर एक समान दर से कर लगेगा। पहले 250 किमी से कम दूरी तय करने तथा 250 किमी से अधिक की दूरी तय करने पर कर की दर अलग-अलग थी। कर की दरें अलग होने पर सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। मगर संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद सरकार को अलर अलर कर दरों से होने वाले 2.35 करोड़ के राजस्व का नुकसान नहीं होगा। विधानसभा में हिमाचल प्रदेश जीएसटी संशोधन विधेयक मुख्यमंत्री ने पेश किया। इसके तहत केंद्र द्वारा ऑन लाइन गेमिंग पर कर लगाने के मकसद से जीएसटी कानून में किए गए संशोधन की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने भी जीएसटी कानून में संशोधन किया है। इसके अलावा हिमाचल में 50 लाख से अधिक की संपत्ति की खरीद पर 8 फीसदी की दर से स्टांप ड्यूटी लगेगी। सरकार की तरफ से इससे संबंधित स्टांप ड्यूटी संशोधन विधेयक सदन में पेश किया। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अनुपस्थिति में उनके द्वारा अधिकृत शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने संशोधन विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। इसके अलावा सदन में 2 विधेयक पारित भी किए। इसमें पहला विधेयक हिमाचल प्रदेश निरसन विधेयक, 2023 और दूसरा हिमाचल प्रदेश कृषि, औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक शामिल है। इस विधेयक के पारित करने पर विधायक रणधीर शर्मा और विपिन सिंह परमार ने आपत्ति जताई। उनका कहना था कि यह विधेयक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति यानि राज्यपाल की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है तथा राजनीतिक हस्तक्षेप को बढ़ाने वाला है। सत्ता पक्ष की तरफ से सी.पी.एस. आशीष बुटेल ने विपक्ष की शंकाओं का निराधार बताया तथा कहा कि इससे विश्वविद्यालय की स्वायतता को किसी तरह की ठेस नहीं पहुंचेगी। गैर सरकारी सदस्य कार्य दिवस होने पर विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रदेश में निजी भूमि पर एक खेत से दूसरे खेत में जाने के लिए गैर मुमकिन रास्तों को बंद किए जाने के कारण लोगों को हो रही असुविधा का मामला उठाया। इस पर हुई चर्चा में भवानी सिंह पठानिया, किशोरी लाल और चंद्रशेखर ने भाग लिया।