November 15, 2024

विधानसभा समीक्षा

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शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत आज 3 बार विधायक रहे खूबराम और बरसात के कारण प्राकृतिक आपदा में मारे गए 441 लोगों को श्रद्धाजंलि देने के साथ शुरू हुई। सदन में इस दौरान दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए कुछ क्षण मौन भी रखा गया। शोकोद्गार के बाद विपक्ष ने कार्यसूची में शामिल सभी विषयों को स्थगित
करके प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान को लेकर नियम-67 के तहत चर्चा करवाए जाने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस दौरान सदन को जानकारी दी कि इस विषय को लेकर सत्ता पक्ष की तरफ से नियम-120 के तहत चर्चा की मांग की गई। ऐसे में यह विषय पहले ही सत्ता पक्ष की तरफ से मिल चुका है, तो विपक्ष को भी इसी के तहत अपने विषयों को उठाना चाहिए, जिस पर नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सहित पूरे विपक्ष ने आपत्ति जताई। विपक्ष की इस मांग को अस्वीकार करने पर नाराज विपक्ष ने सदन में नारेबाजी की तथा वॉकआऊट किया। इसके बाद मुख्यमंत्री सुखङ्क्षवदर ङ्क्षसह सुक्खू ने सदन में नियम-102 के तहत प्रस्ताव लाते हुए केंद्र सरकार से प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। जब मुख्यमंत्री सदन में अपना विषय रख रहे थे, तो विपक्ष फिर से सदन में आया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस दौरान कहा कि पक्ष और विपक्ष दोनों के प्रस्ताव समान होने के कारण इसको लेकर चर्चा की अनुमति दी, जिसमें सबसे पहले विपक्ष की तरफ से नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भाग लिया। सदन में चर्चा के दौरान दोनों पक्षों में नोंक-झोंक का सिलसिला जारी रहा और चर्चा में भाग लिया।
इस तरह चौदहवीं विधानसभा के तृतीय सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले विधायक दलों की बैठकें हुई, जिसमें पक्ष-विपक्ष ने अपनी रणनीति तैयार की। सदन की कार्यवाही शुरू होने मुख्यमंत्री ने शोकोद्गार लाते हुए कहा कि आनी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रहे खूबराम का 70 वर्ष की आयु में 19 जुलाई, 2023 को निधन हो गया। वर्ष, 1953 में जन्मे खूबराम कुल्लू जिला के बग्गी गांव से संबंध रखते थे तथा उन्होंने स्नातक तक शिक्षा गृहण की। वह वर्ष, 1982, वर्ष, 1990 और वर्ष, 2012 में विधायक रहे। उन्होंने प्राकृतिक आपदा के कारण मारे गए 441 लोगों को भी श्रद्धांजलि दी तथा सदन को आश्वस्त किया कि सरकार प्रभावित परिजनों की हर संभव मदद करेगी। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी पूर्व विधायक खूबराम एवं प्राकृतिक आपदा में मारे गए 441 लोगों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की। शोकोद्गार में विधायक लोकेंद्र कुमार ने भी भाग लिया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसके बाद कहा कि सदन की भावनाएं परिजनों तक पहुंचा दी जाएगी। शोकोद्गार को प्रस्तुत करने के बाद सदन में प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान को लेकर विपक्ष की तरफ से विधायक विपिन ङ्क्षसह परमार ने कुछ बोलना चाहा, लेकिन उनकी बातें रिकार्ड पर नहीं आई। इस पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आपत्ति जताई तथा नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति नहीं दिए जाने पर आपत्ति जताई। विपक्ष ने इस दौरान कुछ देर नारेबाजी की और सदन से कुछ देर वॉकआऊट किया। विपक्ष के वॉकआऊट के बाद मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने सदन में नियम-120 के तहत प्राकृतिक आपदा को लेकर प्रस्ताव लाते हुए कहा कि विपक्ष मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए सदन के वॉकआऊट करना चाहता है। उन्होंने कहा कि भाजपा आपदा में राजनीति करती रही सत्र को बुलाने की मांग की, जबकि उस समय सरकार का सारा ध्यान आपदा में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने पर था। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पूरे हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक आपदा क्षेत्र घोषित किया है। ऐसे में केंद्र सरकार को तुरंत केदरानाथ, जोशीमठ और भुज भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा की तर्ज पर स्पैशल पैकेज देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी स्तर पर आपदा राहत राशि आवंटन में कोताही होगी तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 26 सितम्बर को विशेष रिलीफ पैकेज लाकर प्रभावित परिवारों की मदद करेगी उन्होंने कहा कि आपदा की इस घड़ी में कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और हरियाणा सहित अन्य सरकारों ने भी मदद की है। प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी इसके लिए अपने 1 दिन का वेतन दिया है। कांग्रेस विधायकों ने भी अपने 1 माह का वेतन आपदा के लिए दान किया है, लेकिन भाजपा विधायकों से अभी कोई पहल नहीं हुई। हालांकि इस बीच विपक्ष की तरफ से आवाज आई कि भाजपा विधायकों के 1 माह के वेतन के चैक मंगलवार तक मुख्यमंत्री को सौंप दिए जाएंगे। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चर्चा में भाग लेने हुए आरोप लगाया कि सरकार नियम-67 के तहत चर्चा नहीं करवाकर सारा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोडऩा चाहता है, जबकि आपदा की इस घड़ी में वह जहां खुद 3 बार केंद्र से मदद मांगने गए, वहीं केंद्र सरकार से भी तुरंत राहत राशि को जारी किया गया। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब प्रदेश में हजारों लोग बेघर हो गए है। उन्होंने कहा कि पूर्व के समय में जो गलतियां हुई, यह प्राकृतिक आपदा उन गलतियों को सुधारने का संकेत भी है। इसको लेकर विपक्ष को काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की बजाए इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि केंद्र सरकार से कितनी मदद मिली है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की तरफ से आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी नहीं की गई, जिससे त्रास्दी को कम किया जा सकता था। कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि डिजास्टर मैनुवल में संशोधन करके प्रभावित लोगों के लिए 1 लाख रुपए की घोषणा की सरहानीय है। मिल उन्होंने कहा कि कोई भी चुनाव क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां लोगों का नुकसान न हुआ हो। उन्होंने कह कि इस समय सडक़ों को रिसटोर करने की आवश्यकता है। इसके अलावा कई लोगों के घरों में मलबा घुस गया गया है, जिनको मदद की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 51 लाख रुपए दान किए हैं, जिसकी तारीफ होनी चाहिए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं भाजपा विधायक विपिन ङ्क्षसह परमार ने कहा कि त्रासदी ने हिमाचल प्रदेश के चेहरे पर कई जख्म दिए है, जिसको भरने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि मरने वालों का आंकड़ा ज्यादा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि हमने सही रास्ता नहीं चुना तो आगे भारी नुकसान उठाना होगा। उन्होंने कहा कि हर प्रभावित को सहायता दो जानी चाहिए। सी.पी.एस. राम कुमार सहित अन्य ने भाग लिया। चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान व लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी विपक्ष पर पलटवार किया।