विधानसभा समीक्षा-दूसरा दिन
शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा में दूसरे दिन भी सदन भी प्रश्नकाल बाधित रहा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नियम-67 के तहत विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इस कारण सदन में सभी विषयों को स्थगित करके संस्थानों को डिनोटिफाई करने को लेकर चर्चा हुई। इसको लेकर हुई चर्चा पर विपक्ष के सदस्य बाद में उठकर बाहर चले गए। हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यह वॉकआऊट नहीं है। उन्होंने चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि सरकार द्वारा बंद किए गए संस्थान फिर से सशर्त खुलेंगे। उन्होंने कहा कि जहां जरूरत होगी, वहां बंद किए गए संस्थानों को फिर से नोटिफाई करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने जहां-जहां जरूरी था, वहां-वहां कुछ संस्थान फिर से खोल भी दिए हैं। विपक्ष द्वारा लाए गए काम रोको प्रस्ताव को बाद में सदन ने विपक्ष की गैरमौजूदगी में ध्वनिमत से रद्द कर दिया। काम रोको प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल 2022 के बाद खोले गए सभी संस्थानों को डिनोटिफाई करने का नीतिगत फैसला लिया है। इसी के तहत इन संस्थानों को बंद किया गया है और अब जरूरत के हिसाब से इन्हें खोलने का फैसला भी लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने बिना बजट और बिना स्टाफ के सैंकड़ों संस्थान खोल दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 12 हजार पद खाली पड़े हैं। इसके बावजूद पूर्व सरकार ने महज राजनीतिक लाभ लेने के लिए सैंकड़ों की संख्या में शिक्षण संस्थान खोले।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पहले लेक्चररों के खाली पद भरेगी और उसके बाद नए संस्थान खोलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 4145 स्कूल महज एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं, जबकि 455 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार द्वारा चुनावी वर्ष में खोले गए 23 कालेजों के लिए एक-एक लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया गया था। इसी तरह पूर्व भाजपा सरकार द्वारा खोले गए 140 स्वास्थ्य संस्थानों में से केवल 9 संस्थानों के लिए वित्त विभाग की मंजूरी की गई। इसी तरह राजस्व सहित अन्य विभागों में भी बिना बजट प्रावधान के सैकड़ों संस्थान खोले गए।
सदन में इससे पहले संस्थानों को डिनोटिफ ाई करने को लेकर नियम-67 के तहत हुई चर्चा के दौरान कई मौके ऐसे भी आए जब सदन का माहौल गरमा गए। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जहां सरकार को घेरा, वहीं सदन के भीतर अधिकारी के फोन प्रयोग करने पर आपत्ति जताई। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि सदन के भीतर फोन प्रयोग की अनुमति नहीं है और ऐसा करने पर नियमानुसार कार्रवाई करने का प्रावधान है। चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक सुरेश कुमार ने जानना चाहा कि किन कारणों से पूर्व भाजपा सरकार के समय में स्वास्थ्य मंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को बदलना पड़ा? उनका यह भी आरोप था कि कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था, जिस कारण उसे बंद करना पड़ा। विपिन ङ्क्षसह परमार ने इसके बाद नाराजगी जताते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक तथ्यों के साथ टिप्पणी करें। उन्होंने कहा कि यदि वह उनके ऊपर लगाए गए आरोप सही साबित कर देते हैं, तो वह सायं 5 बजे तक इस्तीफा दे देंगे। विधानसभा अध्यक्ष इस पर कहा कि यदि कोई आपत्तिजनक शब्द कार्यवाही में आए हैं, तो उसे हटा दिया जाएगा। भाजपा विधायक डा. हसंराज ने भी विधायक क्षेत्र विकास निधि तथा अन्य मदों से मिलने वाली राशि को शीघ्र बहाल नहीं करने पर विधानसभा में धरना व आमरण अनशन करने की धमकी दी। उन्होंने जनता की मांग पर खोले गए संस्थानों को डिनोटिफाई करने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनको लगता था कि प्रदेश की सत्ता राजघराने से बाहर निकलकर आम आदमी के हाथ में गई है, लेकिन अब उनके सी.एम. बनने पर पता चल रहा है कि वह सुक्खू से ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू बन गए हैं।
भाजपा विधायक जीत राम कटवाल जब चर्चा में भाग ले रहे थे, तो उस समय विपक्षी सदस्य के बीच में टोकने वह नाराज हो गए। ऐसे में उनकी तरफ से की गई टिप्पणी से सदन का माहौल गरमा गया, जिस कारण तीखी नोक-झोंक भी हुई। इस पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता पक्ष को चर्चा के दौरान बीच में व्यवधान नहीं डालना चाहिए। मुख्यमंत्री ने भी विपक्ष के विधायक को सलाह दी कि वह प्रशासनिक सेवा में रह चुके हैं। ऐसे में उनको सदन में चुनकर आए प्रत्येक सदस्य का सम्मान करना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने इस दौरान सदस्य को अपने विषय तक सीमित रहने की सलाह दी तथा रिकार्ड में आए शब्दों को कार्यवाही से निकालने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष की तरफ से संस्थानों को डिनोटिफाई करने के खिलाफ नियम-67 के तहत मामला उठाने की अनुमति दी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया इस पर चर्चा की औपचारिक अनुमति प्रदान की।
विधानसभा में दूसरे दिन भी प्रश्नकाल बाधित रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले दिन शोकोद्गार के बाद सदन में विधायक क्षेत्र विकास निधि को रोके जाने पर पर प्रश्नकाल नहीं हो पाया। इसके बाद दूसरे दिन विपक्ष की मांग पर संस्थानों को डिनोटिफाई करने के लिए नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति दिए जाने के कारण सभी विषयों को स्थगित किया गया, जिससे प्रश्नकाल बाधित हुआ। हालांकि प्रश्नों को सभापटल पर रखने की अनुमति दी गई।
कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी ने कहा कि संस्थानों को डिनोटिफाई करने का लेकर नियम-130 के तहत भी चर्चा हो सकती थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने इस विषय को नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने तो कफन तक पर टैक्स लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व प्रदेश भाजपा सरकार के समय कोरोना महामारी के दौरान अव्यवस्था देखने को मिली। इस कारण भाजपा चारों उपचुनाव हार गई तथा स्वास्थ्य मंत्री को पद से हटाने का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के समय में खोले गए कॉलेजों की यह स्थिति थी कि 1 प्रिंसिपल के पास 3 कॉलेजों का दायित्व तथा लेक्चरर 3-3 दिन अलग-अलग कॉलेजों में डेपुटेशन पर पढ़ाने जाते थे।
कांग्रेस विधायक इंद्रदत लखनपाल ने कहा कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार प्रधानमंत्री से प्रदेश दौरों के दौरान कोई पैकेज नहीं ले पाई। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सी.एम. के निर्णयों की सराहना करनी चाहिए, क्योंकि सरकार ने आवश्यकता पडऩे पर संस्थान खोलने की बात कही है। इसी तरह विधायक निधि को केवल मात्र रोका है, स्थगित नहीं किया है।
भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने नियम-67 के तहत हुई चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार की तरफ से संस्थानों को बंद करने से आम आदमी में रोष है। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के समय 2 साल इसलिए संस्थान नहीं खुल पाए, क्योंकि उस समय कोरोना काल था। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने तो कांग्रेस कार्यकाल में खुले संस्थानों को भी क्रियाशील किया।
भाजपा विधायक राकेश जमवाल ने कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर इसको बंद करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक स्कूटी के लिए सवा करोड़ रुपए की बोली लगी है, तो क्या ऐसे में विभाग को बंद कर देंगे।
कांग्रेस विधायक नंदलाल ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार में सैनिटाइजर खरीद में हेराफेरी का मामला सामने आया। इसी तरह पूर्व सरकार ने प्रदेश को कर्ज के बोझ तले दबाया। उनका यह भी आरोप था कि कोरोना काल में अव्यवस्था के चलते लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि जुब्बल-कोटखाई में ही 2-2 एस.डी.एम. ऑफिस खोले गए, जिसका कोई औचित्य नहीं है।
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने नियम 67 पर हुई चर्चा के जवाब के दौरान विपक्ष द्वारा किए गए हंगामे को भाजपा की बौखलाहट करार दिया। संसदीय कार्य मंत्री ने विपक्ष के इस व्यवहार की निंदा की और कहा कि पूरा विपक्ष मुख्यमंत्री के जवाब के दौरान सदन में मौजूद रहा। ऐसे में मुख्यमंत्री के जवाब के बाद सदन से बाहर जाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने कार्यकाल के अंतिम छह माह में 80 फीसदी से अधिक संस्थान खोले। चौहान ने कहा कि भाजपा को प्रदेश की जनता ने ठुकराया है और वह इसे सहन नहीं कर पा रही है। उन्होंने आज के विपक्ष के प्रदर्शन को तथ्यहीन करार दिया और कहा कि विपक्ष चर्चा के लिए तैयार ही नहीं था। संसदीय कार्य मंत्री ने यह भी कहा कि सत्ता पक्ष सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए पूरा सहयोग कर रहा है, लेकिन विपक्ष इस मामले में सहयोग नहीं दे रहा है।
सदन में वित्तीय वर्ष, 2022-23 की अनुपूरक अनुदान मांगों को भी प्रस्तुत किया। यह अनुपूरक मांगे 13,141.07 करोड़ रुपए की है। जिनमें से 11,707.68 करोड़ रुपए राज्य स्कीमों और 1,433.39 करोड़ रुपए केंद्र प्रायोजित स्कीमों के लिए रखे गए हैं। राज्य स्कीमों के अंतर्गत मुख्यत: 6004 करोड़ 63 लाख वे एंड मीनस व ओवरड्राफ्ट के लिए रखे गए हैं।