विधानसभा में आज क्या हुआ ?
शिमला : चौदहवीं विधानसभा के पहले बजट सत्र के पहले ही दिन विपक्षी भाजपा ने विधायक क्षेत्र विकास निधि को रोके जाने का मामला उठाया। इस दौरान सदन में हंगामा हुआ तथा विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी करे हुए वॉकआऊट भी किया। वॉकआऊट करने के बाद विपक्ष ने सदन की शेष कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया। वॉकआऊट से पहले भाजपा विधायक विपिन ङ्क्षसह परमार ने नियम-67 के तहत कार्यसूची में शामिल सभी विषयों को स्थगित करके इस मामले पर अविलंब चर्चा करवाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा के 9 सदस्यों ने इस विषय को लेकर नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के समय विधायकों को 1.50 करोड़ रुपए की राशि जारी हो गई है, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद ही 50 लाख रुपए की अंतिम किस्त को रोक दिया गया है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री व रणधीर शर्मा तथा विपिन परमार व हर्षवर्धन चौहान के बीच नोंक-झोंक भी हुई। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव को निरस्त करते हुए कहा कि सदन की आगामी कार्यवाही में भी इससे संबंधित प्रश्न लगे हैं। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान का कहना था कि पूर्व सरकार प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ा है तथा संस्थानों को बिना नियम-कानून के खोला है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सदस्यों के अधिकारों व कर्तव्यों पर सदन में पहले चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि ऐसे विषयों पर विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर में बात हो सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही 6,000 निराश्रित बच्चों को अपनाया है। इसके अलावा कर्मचारियों की पुरानी पैंशन को भी बहाल किया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस के गले में 10 गारंटियां फंसी है। इस कारण वह 3 माह से सा रे गा मा पा धा नि सा कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को 6 सी.पी.एस. बनाने व चहेतों को 10 गारंटियां देने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन वह विधायक क्षेत्र विकास निधि के अलावा उपायुक्त के माध्यम से विकास कार्यों के लिए विभिन्न मदों में मिलने वाली राशि को रोक रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपए नहीं 69,600 हजार करोड़ रुपए का कर्ज छोडक़र गई है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सरकार ने प्रदेश की बदहाल आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर विधायक निधि को बंद नहीं किया है, बल्कि इसको रोका है। उन्होंने कहा कि सरकार अंतिम क्वाटर में सरकारी कोष में आने वाली धनराशि का आकल कर रही है। यदि हालात बेहतर रहे तो इसे बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने बिना बजट के 920 संस्थान खोले, जिस कारण इसको बंद करना पड़ा। वर्तमान सरकार भविष्य में आवश्यकता पडऩे पर ऐसे संस्थानों को फिर से खोलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के वित्तीय हालात पर सरकार श्वेत पत्र लाएगी। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने उम्मीद जताई कि उनको पक्ष-विपक्ष का सहयोग मिलता रहेगा।
मुख्यमंत्री ने इसके बाद सदन में अपने मंत्रिमंडल सदस्यों का परिचय भी करवाया। इसके उपरांत डा. वाई.एस. परमार से लेकर वीरभद्र सिंह सरकार की कैबिनेट का हिस्सा रहे पूर्व मंत्री स्वर्गीय मनसा राम के निधन शोकोद्गार प्रस्तुत किए गए। मुख्यमंत्री सुक्खू ने सदन को जानकारी दी कि 14 जनवरी, 2023 को 82 साल की आयु में मनसा राम का निधन हुआ। वह डा. वाई.एस. परमार कैबिनेट के सबसे युवा मंत्री भी रहे। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मनसा राम को हरफनमौला नेता बताया। उन्होंने वर्ष, 1998 में मनसा राम से जुड़ा किस्सा भी सुनाया। उन्होंने कहा कि जब भाजपा-हिविकां गठबंधन की सरकार बनने से पहले वह उनके साथ पी.डब्ल्यू.डी. रेस्टहाउस शिमला में ठहरे थे। उस समय कमरे को बाहर से बंद कर दिया गया था, ताकि उनके यहां पर होने की किसी को सूचना न मिले। हालांकि रात को किसी ने बाहर से दरवाजा जरुर खटखटाया था। इसके बाद सुबह के समय उनके गीजर की पाइप फटने से पूरे कमरे में भाप भर गया था। विधायक अनिल शर्मा, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, डा. हंसराज, राकेश जमवाल, रवि ठाकुर व लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी अपने शोकोद्गार प्रस्तुत किए। सदन में दिवंगत नेता के सम्मान में कुछ देर मौन भी रखा गया।
विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश नगर निगम संशोधन अध्यादेश 2023 को भी सभा पटल पर रखा। इसके अनुसार 1,69,578 जनसंख्या वाले नगर निगम शिमला के वार्डों की संख्या को 41 से 34 करना शामिल है, जिसमें प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या 2,500 से कम नहीं होनी चाहिए। यह संशोधन नगर निगम शिमला को लेकर लाया गया है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने इसके बाद 19,991 मैगावट क्षमता के 172 पॉवर प्रोजैक्टों पर वाटर सैस लगाने से संबंधित हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन जल उपकर विधेयक 2023 को प्रस्तुत किया। प्रदेश में वाटर सैस से करीब 4 हजार करोड़ रुपए की आय होगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह वाटर सैस जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड की तर्ज पर लगाया है। सरकार इसमें कई प्रोजैक्टों को और राहत देने का प्रयास भी करेगी।
सदन में इसके बाद नियम-130 तहत विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रदेश की वन संपदा को आग, बाढ़ व भू-स्खलन से बचाने बारे प्रस्ताव प्रस्तुत भी किया। इसके उत्तर में में मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण ने हिमाचल प्रदेश में 17,120 भू-स्खलन स्थलों की पहचान की है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश जलवायु परिर्वतन केद्र की मदद से राज्य में हाई रेजोल्यूशन स्थितियों के साथ पारछू सहित अन्य कमजोर झीलों की निगरानी की जा रही है। इसी तरह ग्लेशियर और ग्लेशियल लेक आउटबर्सट फ्लड की भी नियमित रु प से निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वन संपदा को आग, बाढ़ व भू-स्खलन से बचाव के लिए आने वाले समय में नई नीति लाए जाने की दिशा में कदम उठाए जाएगें। उन्होंने कहा कि हिमाचल बहुआयामी आपदा उन्मुख राज्य है। उच्च शक्ति प्राप्त समिति द्वारा पहचाने गए कुल 33 खतरों में से प्रदेश 25 खतरों की श्रेणी में आता है तथा हर वर्ष प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न होने वाली आपात स्थितियों के रु प में प्राकृतिक प्रकोप का सामना करता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक के प्रभावी प्रबंधन और इससे जुड़े मामलों के आकस्मिक उपचार के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे है तथा विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरु क करने के लिए अभियान चलाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि चीड़ के जंगलों में चीड़ की पत्तियां आग का मुख्य कारण है। ऐसे में इन पत्तियों को एकत्रित करने व वन भूमि से हटाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा एक नई नीति बनाई गई है। इसके तहत पाइन नीडल आधारित उद्योग लगाने के लिए पूंजी निवेश पर 50 फीसदी सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत ईधन के ब्रिकेटस बनाने की अब तक 5 ईकाइयां स्थापित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि जहां तक वनों को बाढ़ एवं भू-स्खलन से क्षति का प्रश्र है, इस दिशा में वन विभाग द्वारा सी.ए.टी. प्लान, कैंपा एवं विभिन्न बाहरी सहायता परियोजनों जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के माध्यम से वनों का सरंक्षण एवं संवर्धन सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किन्नौर जिला को भू-स्खलन की रोकथाम की दृष्टि से पायलट प्रौजेक्ट के तौर पर एच.पी. एस.डी.एम.ए. तथा जी.एस.आई. द्वारा चयनित किया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रौद्योगिकी जलवायु परिर्वतन विभाग की मदद से राज्य के नदी प्रवाह क्षेत्र युमना, रावी, सतलुज और ब्यास के लिए प्रवाह क्षेत्र वार जलवायु परिवर्तन अध्ययन किया जा रहा है। इसमें सतलुज व ब्यास नदी प्रवाह क्षेत्र का अध्ययन किया जा चुका है। उन्होंने जानकारी दी की बाह्य सहायता द्वारा वित्त पोषण के लिए फ्रेंच डिवेलपमैंट एजैंसी से द्विपक्षीय फंङ्क्षडग के तहत 800 करोड़ रुपए कर्ज के रु प में प्रदान करने के लिए सैद्धांतिक रु प से सहमत हो गया है। इसके तहत राज्य में आपदा के प्रभावों में कमी और आपदाओं के प्रति जागरु कता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इससे पूर्व नियम-130 के अंतर्गत विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने सदन में अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि गर्मियों के वनों में आग के काफी मामले सामने आते है, जिससे करोड़ोंरु पए की वन संपदा नष्ट हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में ठोस नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वन विभाग में फील्ड स्टाफ की कमी है। ऐसे वन रक्षकों के पदों का भरने और राखों का रखने की आवश्यकता है। विधायक रवि ठाकुर ने कहा कि जब वनों में आग लगती है, तो उस पर काबू पाने के लिए प्र्याप्त साधन नहीं है। उन्होंने जिला लौहाल-स्पीति में लगतार पिघलते जा रहे ग्लेशियरों का मामला भी उठाया। उन्होनें कहा कि वन विभाग के कार्यालय में अधिकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि फील्ड स्टाफ कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाइडल प्रौजेक्ट के चलते पानी के स्त्रोत भी सूखते जा रहे है। विधायक केवल ङ्क्षसह पठानिया ने कहा कि वन विभाग रि-स्ट्रक्चर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राखा रखने की प्रथा खत्म कर दी गई। उन्होंने कैंपा राशि का सदुपयोग होना चाहिए। विधायक अजय सोलंकी ने कहा कि वन संपदा को बचाने की एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने वनों में अधिकतर आग के मामले में चीड़ के जंगलों मेंं आते है, ऐसे में संबंधित क्षेत्रों को चिन्हित किया जाना चाहिए। विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि एन.एच. में भू-स्खलन के मामले सामने आ रहे हैं, जो ङ्क्षचता का विषय है। उन्होंने कहा कि जब बारिश होती है तो सारा मलबा सडक़ों पर आ जाता है। विधायक चैतन्य ठाकुर, हरीश जनारथा और नीरज नैय्यर ने चर्चा में भाग लिया।
सदन में नियम-130 पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने वित्तीय वर्ष, 2022-23 की अनुपूरक अनुदान मांगों को भी प्रस्तुत किया। यह अनुपूरक मांगे 13,141.07 करोड़ रुपए की है। जिनमें से 11,707.68 करोड़ रुपए राज्य स्कीमों और 1,433.39 करोड़ रुपए केंद्र प्रायोजित स्कीमों के लिए रखे गए हैं। राज्य स्कीमों के अंतर्गत मुख्यत: 6004 करोड़ 63 लाख वे एंड मीनस व ओवरड्राफ्ट के लिए रखे गए हैं।