हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन क्या हुआ ?
शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन जमकर हंगामा हुआ। सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने प्रश्नकाल शुरू होने से पहले कहा कि कांग्रेस की तरफ से दिए गए स्थगन प्रस्ताव नोटिस के तहत ओ.पी.एस. पैंशन पर चर्चा होनी चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने इस पर कहा कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नियम-278 के तहत ओ.पी.एस. को लेकर पहले ही चर्चा हो चुकी है। लिहाजा ऐसे में फिर से उसी विषय पर चर्चा करना तर्कसंगत नहीं है। इस पर विपक्षी कांग्रेस ने नाराजगी जताते हुए नारेबाजी शुरू कर दी है तथा वैल में आ गए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार के आग्रह पर विपक्ष फिर अपनी सीटों पर आ गया, लेकिन चर्चा की अनुमति न मिलने पर फिर से वैल में जाकर नारेबाजी करते हुए इसका विरोध किया तथा बाद में सदन से वाकआउट किया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री का कहना था कि अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा और ओ.पी.एस. दोनों अलग-अलग मामले हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विपक्ष के वाकआउट करने की ङ्क्षनदा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए वीरभद्र ङ्क्षसह ने इसको लेकर निर्णय लिया, जिसका कांग्रेस के सदस्य आज विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इसके बाद सत्ता में आने पर कुछ नहीं किया तथा अब चुनावी समय पर कर्मचारियों का गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य भी इसे लागू नहीं कर पाए हैं तथा इसके लिए केंद्र सरकार से मदद मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार फिर भी मामले को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है और इसके लिए हाई पॉवर कमेटी का गठन किया है। इसके अलावा सरकार ने एन.पी.एस. में अपनी हिस्सेदारी को 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी किया है। इसी तरह ग्रेच्युटी का लाभ दिया है और प्रतिवर्ष 911 करोड़ रुपए की राशि अंशदान के रुप में खर्च की जा रही है। सदन में कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सुक्खू की तरफ से दिए गए बयान पर भी हगांमा हुआ, जिसमें उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह व वन मंत्री राकेश पठानिया ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सुक्खू की यह टिप्पणी करना सही नहीं है कि भाजपा के मंत्री कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस समय देश और प्रदेश में जो हालात है, उस स्थिति में कौन उसमें शामिल होगा। इतना जरुर है कि विपक्ष के सदस्य जरुर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। सदन में किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी की तरफ से विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव लाने पर भी हंगामा हुआ। जगत ङ्क्षसह नेगी का आरोप था कि डी.सी. किन्नौर पर उनकी अनदेखी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जब इसको लेकर अपना जवाब दे रहे थे, तो जगत सिंह नेगी ने इस पर नाराजगी जताई, जिस पर तीखी नोंक-झोंक एवं हंगामा हुआ। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस विधायक के व्यवहार की ङ्क्षनदा की। उन्होंने कहा कि यदि वह सदन के भीतर ऐसा व्यवहार कर सकते हैं, तो बाहर उनकी तरफ से किए जाने वाले व्यवहार का खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है। विधानसभा अध्यक्ष ने भी कांग्रेस विधायक के इस व्यवहार पर आपत्ति जताई। सदन में ओ.पी.एस. को लेकर हुए हंगामे के कारण 3 ही सवालों के उत्तर सरकार की तरफ से दिए जा सके। विधायक राजेंद्र राणा ने सदन में कमरुनाग मंदिर में चोरी का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मंदिर से सोना, चांदी और धनराशि को चोरी करने वालों ने चौकीदार को दराट दिखाकर कमरे में बंद किया। इस पर मुख्मयंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कमरुनाग मंडी के सबसे बड़े देवता माने जाते हैं और माधोराम के बाद उनका स्थान आता है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी तथा उचित कार्रवाई करेगी। विधायक विक्रम सिंह जरयाल ने चंबा से 24 साल की युवती के कुल्लू से लापता होने का मामला उठाया। मुख्यमंत्री इसके जवाब में कहा कि मामले को लेकर एस.पी. क्राइम सी.आई.डी. की अध्यक्षता में एस.आई.टी. गठित की गई है। विधायक अनिरुद्ध सिंह की तरफ से प्रदेश में फैली लंपी स्कीन डीजीज पर पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश में अब तक इससे 84 पशुओं की मौत हुई है तथा 1,507 संक्रमित हुए हैं। सरकार ने अब तक राज्य में 20,700 पशुओं को वैक्सीनेट भी किया है। उन्होंने कहा कि लंपी स्कीन डीजीज को उन्हीं जिलों में महामारी घोषित किया जाएगा, जहां पर पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं। सदन में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट भी रखी गई, जिसमें सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए गए। कैग ने कहा कि वर्ष, 2020-21 के दौरान पूंजीगत व्यय 5,309 करोड़ रुपए रहा, जो वर्ष, 2019-20 से 136 करोड़ रुपए बढ़ गया। कैग ने कहा कि वर्ष, 2025-26 तक अगले 5 वर्षों के दौरान बाजारी ऋण चुकता करने व ब्याज पर वार्षिक व्यय लगभग 4,211 करोड़ रहेगा।