सेब पर आयात शुल्क का पूर्व यूपीए सरकार के वक्त तय हुआ : जयशंकर
शिमला : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि सेब पर आयात शुल्क का पूर्व यूपीए सरकार के वक्त तय हुआ था। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया गया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आयात शुल्क बढ़ाने को लेकर समीक्षा कर रही है । विदेश, वाणिज्य व वित्त मंत्रालय की इसमें भूमिका है। अगर किसी गलत रूट से सेब भारत आ रहा है तो केंद्र सरकार इसे बंद करेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की किसी भी अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस पर रोक लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बागवानों की मदद करती रही है और आगे भी ये जारी रहेगी। आयात शुल्क तय करते वक्त कांगड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार आनंद शर्मा केंद्र में मंत्री थे। उन्होंने कहा कि चीन सीमा से सटे गांवों के विकास के लिए सरकार ने वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरू कर बाकायदा इसके लिए बजट तय किया है। वाइब्रेट विलेज कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों व सरकार में समन्वय स्थापित करने के मकसद से केंद्रीय मंत्रियों ने विभिन्न गांवों का दौरा किया। ग्रामीणों व स्थानीय प्रशासन से बात कर इन गावों में अधोसंरचना विकास किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत जहां सीमावर्ती गांवों से जहां लोगों का पलायन रुका है वहीं इन क्षेत्रों में पर्यटन भी बढ़ा है। साथ ही सीमा पर पहरा देने वाले सैनिकों के लिए सुविधाएं भी बढ़ी है।चीन सीमा पर अधोसंरचना विकास के लिए मोदी सरकार ने 15 हजार करोड़ का बजट आबंटित किया है। यूपीए सरकार के वक्त यह बजट 3500 करोड़ था। एस. जयशंकर भाजपा द्वारा शिमला में आयोजित विकसित भारत 2047 बुद्धिजीवी संवाद में बोल रहे थे।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि विकसित भारत के लिए चीन पर निर्भरता कम करनी होगी और विनिर्माण क्षेत्र पर अधिक फोकस करने की दरकार है। उन्होंने कहा कि चीन में आर्थिक सुधार भारत से एक दशक पहले शुरू हुए। विनिर्माण क्षेत्र में देश अलग अलग वक्त में चीन से पीछे रहा।उन्होंने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए मोदी सरकार की नीति व नियत साफ है।
विदेश मंत्री ने बुद्धिजीवी संवाद में कहा कि भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ चीन की तुलना में अधिक अच्छे रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हम आय के गुणात्मक संसाधनों को नहीं बढ़ाएंगे तब तक आगे नहीं बढ़ सकते। विदेश मंत्री ने कहा कि बीते 10 सालों में भारत ने अलग.अलग क्षेत्र में तेजी से तरक्की की है। मोदी सरकार चौमुखी विकास की पक्षधर है। एस जयशंकर ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में रोजगार की एक सीमा है और हमें कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देना होगा तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना होगा। तभी भारत को विकसित देश बनाने का सपना पूरा हो सकता है।
सीमा पर चीन द्वारा नया आधारभूत ढांचा खड़ा करने को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि चीन 1962 के आक्रमण में अथवा इससे पहले हथियाई गई जमीन पर यह ढांचा खड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन ने वर्ष 2020 के बाद अथवा केंद्र में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत की किसी भी जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया है। उन्होंने माना कि चीन सीमा पर स्थिति जटिल है। चीन के साथ तनाव के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि दलाई लामा 1962 के चीन के अग्रेशन के बाद खुद भारत आए हैं। हमने उनका स्वागत किया और चीन को भी इस बारे में साफ. साफ बता दिया था। उन्होंने कहा कि भारत दलाई लामा को कभी भी वापस जाने के लिए नहीं कहेगा। एस. जयशंकर ने यह भी कहा कि दलाई लामा में देशवासियों की अथाह आस्था है और हम उसका आदर करते हैं।
पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ रिश्तों के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि हमने पाकिस्तान को दिखा दिया है कि अगर वह आतंकवाद को पालता रहेगा तो उसे इसकी कीमत भी चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देगा तो भारत एलओसी क्रॉस करेगा और क्रॉस बॉर्डर जवाब भी देगा। उन्होंने कहा कि भारत के साथ सामान्य रिश्तों के लिए पाकिस्तान को क्रास बॉर्डर आतंकवाद पर नियंत्रण करना ही होगा। एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने एक सवाल पर कहा कि मोदी सरकार का वायदा है कि पीओके भारत को वापस लेना है और हम इस वादे पर कायम है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में बाकायदा प्रस्ताव पारित हुआ है जिसमें पूरा विपक्ष भी शामिल था। लेकिन आज विपक्ष को अपना ही फैसला याद नहीं है और पीओके के मुद्दे पर अपने ही देश की आलोचना कर विपक्ष दुनिया भर में भारत की स्थिति कमजोर करने में लगा है।
युद्ध के मुद्दे पर एस.जयशंकर ने कहा कि इन युद्धों के बाद भारत की भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने माना कि आज दुनिया अत्यधिक तनाव की स्थिति में है। वर्ष 2022 तक रूस.यूक्रेन युद्ध आरंभ होने से पहले दुनिया की सोच थी कि युद्ध जल्द खत्म होगा। मगर इसे चले हुए आज 3 वर्ष हो गए और अब दुनिया के कई और देशों में युद्ध की स्थिति बनी है। इससे दुनिया भर में तनाव बढ़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थाई सदस्यता के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत इस मुद्दे पर काफी आगे बढ़ा है और अब बात भारत को स्थाई सदस्यता देने तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि चीन इस मुद्दे पर भारत के पक्ष में नहीं है और भारत को स्थाई सदस्यता देने में हमेशा ही रोड़े अटकाता रहा है। उन्होंने दावा किया कि विकासशील देश चाहते हैं कि भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थाई सदस्यता मिले और वह चीन के पीछे भागने के बजाय भारत से नजदीकी बनाने के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में भारत की पैठ बढ़ी है और वह यूएन में भारत की स्थाई सदस्यता के पक्ष में खड़े हैं।
विदेश मंत्री ने केंद्र सरकार की अग्नि वीर योजना को सही करार दिया और इसे सफल योजना करार दिया। उन्होंने कहा कि यह योजना इसलिए लाई गई है ताकि देश की सेना में नौजवान युवाओं की भूमिका बढ़े। उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।