राजभवन ने राष्ट्रपति को रैफरैंस के लिए भेजा लोकतंत्र प्रहरी विधेयक

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शिमला : देश में आपातकाल के समय जेल जाने वालों को दी जाने वाली लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि बंद करने से संबंधित हिमाचल प्रदेश विधानसभा से पारित विधेयक राजभवन की तरफ से राष्ट्रपति को रैफरैंस के लिए भेजा है। ऐसा करके राज्यपाल ने अपने पास उपलब्ध उन विकल्पों का प्रयोग किया है, जो उनके पास मौजूद हैं। इसके अनुसार जब विधानसभा से पारित विधेयक राज्यपाल को स्वीकृति के लिए भेजा जाता है, तो वह उसको अपनी सहमति दे सकते हैं या उसे पुनर्विचार के लिए वापस वापस भेज सकते हैं। उनके पास एक अन्य विकल्प यह भी रहता है कि वह इसे राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज सकते हैं। राज्यपाल ने इस विधेयक को लेकर उसी विकल्प का प्रयोग किया है। अब राष्ट्रपति की तरफ से आने वाले आदेश के अनुसार ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार ने देश में स्वर्गीय इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के समय लगाए गए आपातकाल के समय जेल जाने वालों को 12,000 रुपए से 20,000 रुपए लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि देने का निर्णय लिया था, जिससे सरकारी कोष पर सालाना करीब 2.63 करोड़ रुपए का बोझ पड़ रहा था। पूर्व भाजपा सरकार का दावा था कि ऐसे लोगों ने आपातकाल के समय 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक लोकतंत्र के अस्तित्व को बचाने तथा जनता के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए पुलिस की यातना सही और जेल गए। इसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री सुखङ्क्षवदर ङ्क्षसह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने इस राशि को बंद करने संबंधी विधेयक विधानसभा से पारित करके इसे स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा था।
आपातकाल के दौरान जेल में जाने वाले प्रमुख नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. राधारमण शास्त्री, पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज व महेंद्र नाथ सोफ्त व पूर्व मंत्री स्वर्गीय श्यामा शर्मा शामिल है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. राधारमण शास्त्री और पूर्व मंत्री स्वर्गीय श्यामा शर्मा आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) के तहत जेल में रहे। इसके अलावा डी.आई.आर. डिफैंस ऑॅफ इंडिया रुल के तहत भी सैकड़ों लोग जेल में रहे थे। हिमाचल प्रदेश में इस राशि को पाने वालों की संख्या 80 के करीब थी।