विधानसभा चुनाव से पहले पक्ष-विपक्ष को अपनों से मिल रही चुनौतियां
शिमला : विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस को अपनों से चुनौतियां मिल रही है। सत्तारुढ़ दल भाजपा की बात करें तो पहले उपचुनाव में उसकी हार का एक प्रमुख कारण आंतरिक गुटबाजी रहा। जुब्बल-कोटखाई में तो पूर्व मंत्री स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा खुद मैदान में उतर गए, जिस कारण पार्टी प्रत्याशी की यहां पर जमानत जब्त हो गई। अर्की और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में भले ही टिकट विवाद सुलझा लिया गया, लेकिन प्रचार में नाराज नेता साथ नहीं चली। ऐसा ही कुछ मंडी संसदीय क्षेत्र में हुआ, जिससे पार्टी इस सीट को भी हार गई। इसके बाद अब 2 निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा और होशयार सिंह की भाजपा में एंट्री पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के समर्थकों को रास नहीं आ रही है, जिस कारण पार्टी के भीतर फिर से खलबली मच गई है। हालांकि इसको लेकर बड़े नेता अभी चुप्पी साधे बैठे हैं। इसके विपरीत कांग्रेस भले ही उपचुनाव में चुनाव जीत गई हो, लेकिन प्रतिभा ङ्क्षसह के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी की भीतर फिर से गुटबाजी उभरकर सामने आई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के देहरा के बाद सिरमौर दौरे में गुटबाजी देखने को मिली है। विपक्षी खेमे में उपजे इस विवाद को देखते हुए कांग्रेस ने 14 जून को अनुशासन समिति की बैठक बुलाई है। ऐसे में अब दोनों दलों भाजपा व कांग्रेस के बीच अपने से तालमेल बिठाने की चुनौती है।