वन नेशन-वन लेजिस्लेशन मंत्र पर आगे बढ़ने की आवश्यकता : नरेन्द्र मोदी

शिमला : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन नेशन-वन लेजिस्लेशन (एक राष्ट्र-एक विधायी मंच) के मंत्र पर आगे बढऩे का आह्वान किया है। इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें एक पोर्टल विकसित करके संसदीय व्यवस्था की जरुरी जानकारी उपलब्ध करवाई जा सकती है। इससे देश की सभी लोकतांत्रिक इकाइयों को जोडऩे में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगले 25 साल बाद देश की आजादी के 100 साल का उत्सव मनाया जाएगा। ऐसे में 25 साल का अमृतकाल बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने जन प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वह एक ही मंत्र चरितार्थ करें कर्तव्य-कर्तव्य-कर्तव्य। उन्होंने कहा कि क्वालिटी डिवेट के लिए समय निर्धारित होना चाहिए। इसमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर साल में 3 से 4 दिन ऐसे जनप्रतिनिधियों के अनुभव सुनने चाहिए, जिन्होंने अपने क्षेत्र में विशेष कार्य किया हो। उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर ऐसे जनप्रतिनिधियों के अनुभव का लाभ उठाया जा सकता है। ऐसी डिबेट में मर्यादा और गंभीरता का पूरी तरह से पालन होना चाहिए तथा किसी तरह की कोई राजनीतिक छींटाकशी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में वन राशन कार्ड, वन नेशन और वन मोबिलिटी कार्ड जैसी कई व्यवस्थाओं को लागू किया है। उन्होंने कहा कि सैंट्रल व स्टेट लेजिस्लेशन पेपरलेस मोड में काम करें, जिसे लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के उपसभापति के नेतृत्व में पीठासीन अधिकारी व्यवस्था को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने संसद और सभी विधानमंडलों के पुस्कालयों को डिजिटाइज करने और इसकी ऑनलाइन उपलब्ध करवाने पर बल दिया।