September 20, 2024

परमार जयंती कार्यक्रम आयोजन के तरीके पर उठे सवाल

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शिमला : हिमाचल निर्माता डा. यशवंत सिंह परमार की 116वीं जयंती के अवसर पर पहली बार विधानसभा के पुस्तकालय कक्ष से बाहर होटल पीटरहॉफ शिमला में अलग से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन जिस तरीके से किया गया, उसको लेकर सवाल भी उठे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कार्यक्रम आयोजन को लेकर जिस तरह का उनका भाव था, वह पूर्ण नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि डा. परमार जैसी शख्सियत के लिए किसी स्थान में निर्धारित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सब लोगों की व्यस्तताएं बढ़ी है, जिस कारण कार्यक्रम आयोजन में रुचि लेने में कमी रही है। ऐसे में भविष्य में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंंने कहा कि डा. परमार लोगों की पीठ से बोझ उतारने के लिए पहले सडक़ों का निर्माण करना चाहते थे। इसी कारण उन्होंने केंद्र सरकार से 3 प्राथमिकताएं पूछने पर एक ही जवाब दिया था, सडक़-सडक़ और सिर्फ सडक़। इसी तरह वह हिमाचली संस्कृति और परम्पराओं के प्रति विशेष स्नेह और सम्मान के भाव रखते थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश 75 वर्षों की लंबी विकास यात्रा का साक्षी रहा है। इसे देखते हुए पूरे प्रदेश में 75 कार्यक्रमों के आयोजन में हिमाचल प्रदेश तब और अब की गौरवशाली यात्रा का प्रदर्शित किया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि अफसरशाही ने मुख्यमंत्री की भावनाओं को सही तरीके से नहीं समझा। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर वह कोई आलोचना नहीं करना चाहते। उन्होंने इतना कहा कि जिस दिन डा. यशवंत ङ्क्षसह परमार ने दुनिया से विदा ली थी, उस दिन श्रद्धांजलि दी जाती है। उन्होंने कहा कि जयंती के अवसर पर डा. परमार के देश और प्रदेश के प्रति दिए गए योगदान को याद करने की आवश्यकता है। उनका हिमाचल प्रदेश के निर्माण के अलावा देश की आजादी में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने इस बात के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तारीफ की कि उन्होंने कार्यक्रम को विधानसभा परिसर से बाहर निकालकर होटल पीटरहॉफ तक पहुंचा तथा इसमें पक्ष-विपक्ष को शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि यदि डा. परमार न होते तो हिमाचल प्रदेश नहीं होता। उन्होंने यहां की जमीन को बचाने के लिए धारा-118 का प्रावधान किया। हालांकि समय के साथ इसमें बदलाव हुआ है। उनके रसूख से देश के इस 18वें पहाड़ी राज्य का जन्म हुआ, वरना बहुमत इसके खिलाफ था। उन्होंने कहा कि पहले मुख्यमंत्री ने अपना कर्ज चुकाने के लिए अपना मकान तक बेच दिया था और पलक झपकते ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वह हिमाचल को ऊर्जा राज्य बनाना चाहते थे तथा प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए सडक़, कृषि, बागवानी एवं पर्यटन पर विशेष ध्यान देना चाहते थे।
प्रथम मुख्यमंत्री ने पहाड़ी राज्यों की नींव रखी : परमार
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि प्रथम मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार ने पहाड़ी राज्यों की नींव रखी थी। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार की दूरदर्शी सोच के कारण ही आज हिमाचल प्रदेश ने देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
डा. परमार को जाता है सेब राज्य बनाने का श्रेय : भारद्वाज
शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि डॉ. परमार को सेब राज्य बनाने का श्रेय जाता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में भी उनका दृष्टिकोण महत्वपूर्ण था। उन्होंने सर्व प्रथम सोलन में बागवानी महाविद्यालय की स्थापना की।
परमार के परिजनों को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस अवसर पर डॉ. वाई.एस. परमार के पुत्र और पूर्व विधायक कुश परमार को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने डॉ. राजेंद्र अत्री द्वारा लिखित पुस्तक डॉ. यशवंत सिंह परमार मास लीडर-एन एपोस्टल ऑफ ऑनेस्टी एंड इंटीग्रेटी का विमोचन भी किया। इस अवसर पर सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की तरफ से डॉ. परमार के जीवन पर निर्मित वृत्त चित्र भी प्रदर्शित किया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने डॉ. परमार के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा हिमाचल निर्माता के जीवन और कार्यों पर आधारित एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रोशन लाल शर्मा ने डॉ. यशवंत ङ्क्षसह परमार के जीवन और कार्यों पर एक शोध पत्र भी प्रस्तुत किया। ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी, राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. हंस राज, विधायक विनय कुमार और हीरा लाल और राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष खुशी राम बालनाहटा सहित अन्य नेता व अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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