स्वास्थ्य विभाग में घटा लैब तकनीशियन का वेतनमान

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शिमला : पुलिस पे-बैंड के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में लैब तकनीशियन के पद पर सेवाएं दे रहे कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां सामने आई है। हैरानी इस बात की है कि स्वास्थ्य विभाग में लैब तकनीशियन को जो वेतनमान वर्ष, 2019 में मिल रहा था, उसका लाभ वर्ष, 2013 में भी नहीं मिल रहा है। यानि 2013 को लैब तकनीशियन का वेतनमान 10,300-34,800 रुपए प्लस 4,800 रुपए ग्रेड पे थी। इस वेतनमान को वर्ष, 2019 में घटाकर 5,910-20,200 रुपए प्लस 3,000 रुपए ग्रेड-पे कर दिया गया। इतना ही नहीं पहले भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता डी.एम.एल.टी. (डिप्लोमा) होती थी, जिसे बाद में बढ़ाकर बी.एस.सी. एम.एल.टी. (स्नातक) कर दिया गया। इस श्रेणी के लैब तकनीशियन को उम्मीद थी कि जब राज्य सरकार पंजाब की तर्ज पर नए वेतनमान का लाभ देगी, तो इस वेतन विसंगति को दूर किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसे देखते हुए बाद में यानि वर्ष, 2019 में सरकारी सेवा में आए लैब तकनीशियन ने इस वेतन विसंगति को दूर न करने की स्थिति में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि वह बाद में सरकारी सेवा में आने और शैक्षणिक योग्यता होने के बावजूद घटे हुए वेतनमान का लाभ ले रहे हैं। उनका कहना है कि लैब तकनीशियन का राइडर समाप्त होने से आर्थिक नुकसान हो रहा है। ऐसे में सरकार को पिछली गलती सुधारनी चाहिए।

तकनीशियन हमीरपुर में बनाएंगे रणनीति
ऑल इंडिया मैडीकल लैबोरेटरी तकनीशियन एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव संतोष कुमार ने कहा कि इस मामले को लेकर तकनीशियन 20 फरवरी को हमीरपुर में रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि उनकी इस वेतन विसंगति को शीघ्र दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि भर्ती के समय उन्हें पहले से मिल रहे वेतनमान का लाभ देने की बात कही गई थी, जिसके दस्तावेजी प्रमाण उनके पास मौजूद है। इसके बावजूद उनके वेतनमान को घटा दिया गया, जो तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस वेतन विसंगति को जल्द दूर करेगी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर से इस मामले का हल खोजने का आग्रह किया है।

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