हिमाचल हाईकोर्ट ने 6 CPS की नियुक्ति को किया रद्द
शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की तरफ से 6 मुख्य संसदीय सचिवों (सी.पी.एस.) को हटाए जाने का निर्णय आने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समक्ष नई चुनौती खड़ी हो गई है। हाईकोर्ट के इस निर्णय से प्रदेश की सियासत में नए परिदृश्य बदलेंगे। हालांकि सरकार की तरफ से हाईकोर्ट की तरफ से आए निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिमला लौटने पर अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों, विधि विशेषज्ञों एवं उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से सलाह-मशविरा करने के बाद आगामी निर्णय लेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि सप्ताह के भीतर सरकार की तरफ से पद से हटाए गए सी.पी.एस. के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है। प्रदेश सरकार की तरफ से विधायकों को एडजस्ट करने के लिए सरकार ने नियुक्तियों का यह रास्ता निकाला था, जिसको लेकर विपक्षी भाजपा शुरुआत से ही हमलावर रही है। साथ ही भाजपा की तरफ से ही नियुक्तिों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। अब निर्णय आने के बाद सत्तारुढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा इस निर्णय की अपनी तरीके से व्यवख्या कर रहे हैं। यानी भाजपा इस निर्णय को अपनी जीत बता रही है, वहीं कांग्रेस हाईकोर्ट के निर्णय का अध्ययन करने के बाद आगामी रणनीति तैयार करने की बात कह रही है।
विधायकी बची रहने से सरकार को फिलहाल राहत
6 सी.पी.एस. को पद से हटाने के बाद फिलहाल उनकी विधायकी बची रहेगी। यह सत्तारुढ़ कांग्रेस के लिए बड़ी राहत है। हालांकि भाजपा अभी भी सी.पी.एस. पद से हटाए गए विधायकों की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग कर रही है। ऐसे में देखना है कि इस मामले को लेकर आगामी दिनों में क्या उभरकर सामने आता है।
सरकारी कार्यालय, गाड़ी, कोठी के साथ स्टाफ विद्ड्रा
सी.पी.एस. पद से हटाए गए सदस्यों के सरकारी कार्यालयों, गाड़ी, कोठी व कार्यालय स्टाफ को तुरंत प्रभाव से वापस लेने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत प्रदेश सचिवालय में सी.पी.एस. को मिले कार्यालयों के कमरों के साथ कोठियों को खाली करने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए गए हैं। उनके कार्यालय का स्टाफ भी वापस ले लिया गया है। इस तरह उनको 2 पी.एस.ओ. की बजाए विधायकों की तरह 1 पी.एस.ओ. ही मिलेगा। कार्मिक विभाग की तरफ से सी.पी.एस. को दिए गए निजी सचिवों की सेवाएं विद्ड्रा कर ली गई है, जिसमें सतेंद्र कुमार, तसलीमा बेगम और बी.एस. राणा शामिल है। स्टाफ के अन्य सदस्यों में यंकी देवी, सुनीता ठाकुर, उत्तम चंद, चेतना, संदीप, धर्मपाल, रविंद्र, नेत्र सिंह, मनोहर, विनोद, टिक्कम राम, नीरज और भूपिंद्र सहित अन्य शामिल है।
जहां थे, वहीं पर छोड़ दी सुविधाएं
सी.पी.एस. पद से हटाए गए सदस्यों ने निर्णय आने के तुरंत बाद वह जहां पर थे, वहीं पर सुविधाएं छोड़ दी। हालांकि कुछ सदस्यों ने पहले से वाहनों को छोड़ दिया था तथा कुछ अंतिम निर्णय का इंतजार करते रहे। वहीं इस निर्णय को लेकर सी.एम. ऑफिस पल-पल की अपडेट लेता रहा।
2.20 लाख की जगह अब प्रतिमाह 2.10 लाख वेतन-भत्ते मिलेंगे
हिमाचल प्रदेश में सी.पी.एस. का मूल वेतन 65 हजार रुपए निर्धारित किया गया था। इस तरह कुल मिलाकर वेतन-भत्तों के साथ उनको 2.20 लाख रुपए प्रति माह अदायगी हो रही थी। यानी अब उनको विधायकों की तरह 2.10 लाख रुपए प्रतिमाह मिलते रहेंगे।