मनोरोग दवाएं हर जगह नहीं बिक सकती, सरकार को नहीं थी जानकारी
शिमला : प्रदेश की सभी दुकानों में मनोरोगियों को दी जाने वाली दवाओं की बिक्री नहीं हो सकती। ऐसा इस कारण क्योंकि लोग इन दवाओं के गलत उपयोग करने से नशे के आदी न हो जाए। विधानसभा में प्रदेश सरकार ने इससे संबंधित औषधि और प्रसाधन सामग्री विधेयक, 2016 को वापस ले लिया। इस संशोधन विधेयक को प्रदेश सरकार ने पारित करके केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था। विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री डा. धनीराम शांडिल की तरफ से ये इससे संबंधित संशोधन विधेयक वापस ले लिया, क्योंकि केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को अवगत करवाया है कि मनोरोग से जुड़ी दवाओं की उपलब्धता सीमित दवाओं की दुकानों तक कर दी गई थी और प्रदेश में सरकार को इसकी जानकारी नहीं थी। अब संशोधन वापस लेने के बाद एक्ट में किसी तरह के संशोधन की आवश्यकता नहीं रह गई है। मनोरोगियों को दी जाने वाली दवाएं कुछ दवा की दुकानों पर उपलब्ध है। दवाइयों के विके्रता किसी को भी इस तरह की दवाएं नहीं दे सकते हैं, जिससे किसी को नशे की लत नहीं लगे। इसके लिए डॉक्टर की ओर से लिखित तौर पर दिए जाने की स्थिति में ही दवा विके्रता डॉक्टर का नाम, मनोरोगी का नाम और पता लिखकर रखता है। पहले इस तरह की दवाएं प्रदेश के अधिकांश दवा विके्रताओं के पास सरलता से उपलब्ध रहती थी।
कौल सिंह उस समय स्वास्थ्य मंत्री थे
ये मामला उस समय का है, जब प्रदेश में कौल सिंह ठाकुर स्वास्थ्य मंत्री थे। उस समय वर्ष, 2016 में प्रदेश सरकार ने नए प्रवधान शामिल करके इसे स्वीकृति के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था। गृह मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय को जांचने के लिए इस संशोधन विधेयक को भेजा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रदेश सरकार को अवगत करवाया कि वर्ष, 2008 में सभी तरह के नए प्रावधान शामिल कर इसे लागू कर दिया गया है। ऐसे में प्रदेश सरकार भेजे गए संशोधन विधेयक को वापस ले।
डा. शांडिल ने रखा विधेयक वापसी का प्रस्ताव
स्वास्थ्य मंत्री डा. धनीराम शांडिल ने विधानसभा में संशोधित विधेयक वापस लेेने का प्रस्ताव सदन में रखा। इस संशोधन की वापसी से अब केंद्र के कानून के तहत की मनोरोगियों के उपचार की दवाएं चुनिंदा दवा की दुकानों पर ही उपलब्ध रहेगी। ऐसे में यदि कोई कानून का उल्लंघन करता है, तो उस दवा विक्रेता के खिलाफ जेल भेजने तक का प्रावधान है।