राज्यपाल के बेबाक अंदाज व नशे के खिलाफ अभियान से राजभवन में रही हलचल

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शिमला : राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के बेबाक अंदाज व नशे के खिलाफ उनकी तरफ से चलाए गए अभियान से राजभवन में बीते 2 वर्ष से हलचल रही। विश्वविद्यालयों मेें कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर देरी राज्यपाल को रास नहीं आई और उन्होंने इसके लिए कई बार राज्य सरकार को चेताया। उन्होंने कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर किए संशोधन पर भी अपनी चिंता जताई। कई मौके ऐसे भी आए जब राज्यपाल प्रदेश की सियासत में हस्तक्षेप कर सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने पद की मर्यादा के अनुरुप लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघा। यहां तक कि पिछले बजट सत्र के दौरान जब निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे से जुड़ा मामला राजभवन पहुंचा, तो राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्राधिकारी में दखल नहीं दिया। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल 18 फरवरी यानी मंगलवार को अपने 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले हैं। इस दौरान वह मीडिया से रू-ब-रू भी होंगे। राजभवन में ऐसा अवसर लंबे अरसे बाद आया है, जब राज्यपाल मीडिया से संवाद करने में खुद को सहज महसूस करते हैं।
जनजातीय क्षेत्र में नौतोड़ देने के मुद्दे पर दिखा टकराव
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ देने के मुद्दे को लेकर राजभवन एवं सरकार के बीच टकराव देखने को मिला है। यह टकराव राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय मामलों के मंत्री जगत सिंह नेगी की तरफ से राजभवन की तरफ से नौतोड़ से संबंधित अनुमति नहीं दिए जाने के मुद्दे पर आपत्ति जताए जाने के बाद बढ़ा है। इसके बाद राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को यह तल्ख टिप्पणी करनी पड़ी कि राजभवन चुनावी वायदें पूरे करने के लिए नहीं है। राजभवन ने इस बारे सरकार से लाभार्थियों की सूची मांगी है, ताकि पात्र लोगों को इसका लाभ मिल सके।
सबसे बड़ा सवाल, क्या कार्यकाल पूरा कर पाएंगे राज्यपाल
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को लेकर चर्चित कहानी यह रही है कि अब तक 3 राज्यपाल ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए हैं। इसमें एस. चक्रवर्ती का कार्यकाल 6 वर्ष 22 दिन, विष्णु सदाशिव कोकजे का कार्यकाल 5 वर्ष 128 दिन और उर्मिला सिंह का कार्यकाल 5 वर्ष 72 दिन का रहा है। राज्यपाल के रुप में शिव प्रताप शुक्ल मंगलवार को अपने 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं।
राधा स्वामी अस्पताल को जमीन देने का मामला राष्ट्रपति के पास लंबित
राज्य सरकार की तरफ से विधानसभा में पारित कुछ विधेयकों को लेकर राजभवन के साथ खींचतान रही है। इसमें विधानसभा से पारित हिमाचल प्रदेश भू-जोत संशोधन अधिनियम 2024 को राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास भेजा है। इस संशोधन के माध्यम से राज्य सरकार भोटा में स्थित अस्पताल का अधिग्रहण राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल संस्था को सौंपना चाहती है। इसको स्वीकृति मिलने से प्रदेश में भोटा अस्पताल को राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल संस्था को सौंप दिया जाएगा। इसमें विरोधाभास की स्थिति यह है कि इससे भूमि हस्तांतरण के इसके समकक्ष मामलों का रास्ता भी खुल जाएगा।