सी.पी.एस. मामले का कानूनी विकल्प तलाशने में जुटी सरकार
शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की तरफ से 6 मुख्य संसदीय सचिवों (सी.पी.एस.) की नियुक्तियां रद्द करने के बाद राज्य सरकार इस मामले में कानूनी विकल्पों को तलाशने में जुट गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बारे विधि विशेषज्ञों से मंत्रणा की है। उन्होंने रामपुर के लवी मेले के लिए रवाना होने से पहले पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय का पूरी तरह से अध्ययन करने के बाद वह प्रतिक्रिया देंगे। वह इस बारे अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों से चर्चा करेंगे। इस दौरान वर्ष, 2006 के निरस्त किए गए अधिनियम को लेकर की गई टिप्पणी का भी गहनता से अध्ययन किया जाएगा।
इंडो-तिब्बत ट्रेड फिर से शुरू करने पर विचार होगा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में आए व्यापारियों की तरफ से इंडो-तिब्बत ट्रेड को फिर से शुरू करने के मामले को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि जब इस विषय को उनसे उठाया जाएगा, तो इसके विकल्प पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को व्यापार के लिए खोलना केंद्र सरकार का विषय है। फिर भी यदि व्यापारी उनसे मामले को उठाते हैं, तो इसको उचित मंच पर उठाया जाएगा।
महाराष्ट्र में भाजपा का झूठ हो रहा बेनकाब
मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं के महराष्ट्र दौरे को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनका झूठ बेनकाब हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को क्या यह पता नहीं है कि प्रदेश मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कर्मचारियों को पुरानी पैंशन बहाल करने पर अमल हो चुका है। इसके अलावा प्रदेश में महिलाओं को 1,500 रुपए प्रतिमाह देने का क्रम शुरू हो गया है। इसके अलावा स्टार्ट अप योजना, दूध व प्राकृतिक खेती एवं उगाए गेंहू व मक्का को समर्थन मूल्य देने के अलावा पहली कक्षा से अंग्रेजी विषय शुरू करने जैसी गारंटियों पर सरकार ने अमल करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश सरकार ने 5 गारंटियां न पूरी की होती, तो वह 6 उपचुनाव न जीतती और न ही लोकसभा चुनाव में उसका मत प्रतिशत 27 से 41 फीसदी तक बढ़ता।