कॉरपोरेट सैक्टर पैंशन बहाली मामले ने पकड़ा तूल
शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न निगम-बोर्ड (कॉरपोरेट सैक्टर) से सेवानिवृत्त हुए 6,730 अधिकारी व कर्मचारियों की पैंशन बहाली का मामला तूल पकड़ गया है। इस मुद्दे को लेकर हिमाचल प्रदेश कॉरपोरेट सैक्टर ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष ठाकुर देवी लाल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिले प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांगों को पूरा करने को कहा है। इससे पहले भी एसोसिएशन के पदाधिकारी भाजपा के शिमला मंथन के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप सहित अन्य नेताओं को ज्ञापन सौंप चुके हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर कॉरपोरेट सैक्टर से सेवानिवृत्त हुए अधिकारी व कर्मचारियों से वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भाजपा ने वर्ष, 2007 और वर्ष, 2017 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में 6,730 अधिकारी व कर्मचारियों की पैंशन देने का वायदा किया था, लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अब तक उनकी इस मांग को हर स्तर पर अनसुना किया गया है। लिहाजा यदि आने वाले समय में उनकी पैंशन बहाल नहीं की गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
जानकारी के अनुसार कॉरपोरेट सैक्टर में अक्तूबर, 1999 के बाद कोई भी पैंशन का हकदार नहीं है। इस अवधि तक 10 साल की सेवा पूरी करने वालों को ही पैंशन का हकदार माना गया है। इसमें वर्ष, 2004 से पहले सेवानिवृत्त हुए 1,750 अधिकारी व कर्मचारियों को पैंशन मिल रही हैं, लेकिन बाद में यह लाभ प्रदान नहीं किया गया है।
कारपोरेट सैक्टर के अधिकारी व कर्मचारी हित पर व्यय की जाने वाले करीब 258 करोड़ रुपए वर्ष, 2012 तक रिजनल प्रावीडैंट फंड कमीशनर (आर.पी.एफ.सी.) के पास पड़े हैं। समय के साथ इस राशि में ईजाफा भी हुआ है और मौजूदा समय में यह राशि करीब 350 करोड़ रुपए बनती है। यदि इस राशि को सरकारी कोष में ट्रांसफर करवा लिया जाता है, तो इससे आगामी 6 साल तक आसानी से पैंशन दी जा सकती है। यह पैंशन शेष बचे 6,730 अधिकारी व कर्मचारियों को दी जानी है, जिनके ऊपर सालाना करीब 39 करोड़ रुपए व्यय होने हैं।