अंतरराष्ट्रीय सीमा पर विवाद रहित क्षेत्र में पर्यटन व व्यापार शुरू करना चाहती है हिमाचल सरकार

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शिमला : चीन अधिकृत तिब्बत से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा (लाइन ऑफ एक्चुवल कंट्रोल) पर विवाद रहित क्षेत्र के भीतर राज्य सरकार पर्यटन व व्यापारिक गतिविधियों को शुरू करना चाहती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू समय मिलने पर इस विषय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों की तरफ से इस मांग के उठने के बाद विषय को तथ्यों के साथ उठाने की बात कही है। दरअसल चीन अधिकृत तिब्बत क्षेत्र में भारत का व्यापार सिल्क रुट पर वर्ष, 2020 में डोकलाम और कोरोना वायरस के मामले बढऩे के कारण रुक गया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष इस विषय को शिप्की ला में सीमा पर्यटन की शुरुआत करने के अवसर पर किन्नौर इंडो चाइना ट्रेड एसोसिएशन एवं सीमावर्ती क्षेत्र के प्रथम गांव नमज्ञा पंचायत के प्रधान बलदेव नेगी ने उठाया है। इसी क्षेत्र से राज्य सरकार कैलाश मानसरोवर की पवित्र यात्रा को शुरू करना चाहती है, जो रुट सुगम एवं 91 किलोमीटर छोटा है।
तिब्बत में पहले कैसे होता था व्यापार
चीन अधिकृत तिब्बत में पहले व्यापार आदान-प्रदान की प्रक्रिया के माध्यम से होता था। सबसे पहले भारत से जाने वाले व्यापारी चांदी का सिक्का, चावल, गुड़, तेल और चुल्ली ले जाते थे। इसके बदले में चीन से पशम, चीकू बकरा और याक को लाते थे। पशम को उस समय सेर के हिसाब से तुलवाकर लाया जाता था। इसके लिए व्यापारी शिप्की ला से प्रवेश करते थे और तिब्बत में रानी एवं माचंग गाव में 30 से 40 किलोमीटर अंदर जाते थे। यह सफर 6 से 7 व्यापारियों का ग्रुप खच्चर पर तय करते थे। सीमावर्ती क्षेत्र के प्रथम गांव नमज्ञा के प्रधान बलदेव नेगी के अनुसार इस व्यापार से दोनों पक्षों को लाभ होता था तथा मुख्यमंत्री ने इस मामले को केंद्र सरकार से उठाने का आश्वासन दिया है।
व्यापार व कैलाश मानसरोवर यात्रा में क्या बाधा
चीन अधिकृत तिब्बत में व्यापार व कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने में सबसे प्रमुख बाधा भारत और चीन के मध्य आपसी संबंध का खराब होना है। पहलगाम की आतंकी घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात में चीन का पड़ौसी देश के साथ खड़ा रहना भी इस राह की प्रमुख बाधा है। भविष्य में यदि भारत और चीन के बीच वार्ता का रास्ता खुलता है, तो हिमाचल प्रदेश सरकार की मांग पर केंद्र सरकार व्यापार और कैलाश मानसरोवर यात्रा से जुड़े विषय पर आगे बढऩे के विकल्प पर विचार कर सकती है। यह बात तभी आगे बढ़ेगी जब भारत के राष्ट्रीय हितों को इससे लाभ मिलेगा।