हिमाचली संस्कृत साहित्य में छाप छोड़ने वाले आचार्य केशव नहीं रहे
शिमला : संस्कृत साहित्य में 15 कृतियों का सृजन करने वाले एवं वर्ष, 1956 से संस्कृत मासिक दिव्य ज्योति पत्रिका का संपादन करने वाले आचार्य केशव शर्मा (89) के निधन से साहित्य जगत में सूनापन सा आ गया है। वर्ष, 2004 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आचार्य केशव कई अन्य सम्मान भी मिले। इसमें वर्ष, 1983 में हिमाचल साहित्य पुरस्कार, वर्ष, 1997 में संस्कृत पत्रकारिता सेवा सम्मान, वर्ष, 1997 में राष्ट्रीय एकात्मता श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान, वर्ष, 1999 में विशेष वक्ता सम्मान और वर्ष, 1999 में विशेष विद्वान सम्मान प्रमुख है। संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में अंतिम समय तक एकाकी जीवन बिताने वाले आचार्य केशव शर्मा की जो रचनाएं प्रकाश में आई, उसमें फलादेशकल्पतरू (संस्कृत रचना का अंग्रेजी अनुवाद), पथ्यापथ्यविनिर्णय (संस्कृत आयुर्वेद पाण्डुलिपि का प्रकाशन व उस पर हिंदी टीका), हिमाचल प्रदेश संस्कृतस्य प्रसारे विकासश्च (संस्कृत), सूनृता (शेक्सपीयर के सोनेटस का संस्कृत पद्यानुवाद तथा विविध संस्कृत मौलिक कविताएं, संस्कृत गीतिकाव्य), वैजयन्ती (हिंदी काव्य), शक्तिसोरभम् (कतिपय संस्कृत लेखिकाओं का परिचय हिंदी) झञझा शेक्सपीयर के दि टैम्पेस्ट नाटक का संस्कृत रुपांतरण, संस्कृतकोशवाड.मयम्, सरिता (संस्कृत लघुकथाएं), हिमानी (संस्कृत महाकाव्य), अवरोहणम् (स्वयं लिखित संस्कृत रुपकों का संग्रह), आप्लवशकटिकम् (वर्नार्डशा के द एपल कार्ट का संस्कृत रुपांतरण), भारतीयम् (संस्कृत उपन्यास), अपर्णा (संस्कृत काव्य) व हिमाचल का संस्कृत साहित्य (हिंदी में) प्रमुख है। इसके अलावा विभिन्न संस्कृत हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में उनके शोध पत्र, निबंध व संस्कृत कविताएं प्रकाशित हुए है। वर्ष, 1956 से आकाशवाणी शिमला की स्थापना के बाद से उनके निबंध एवं संस्कृत कविताएं लगातार प्रकाशित होती रही है। उनके 3 प्रमुख प्रकाशनों की अभी भी प्रतीक्षा है। इसमें 6 दशकों के विशिष्ट नेताओं, लेखकों व विद्वानों के संस्कृत में संस्कृति से संबंधित पत्र शामिल है। इसके अलावा बाजिदर्शनम: घोड़ों के विषय में विशेष जानकारी तथा अतीत और वर्तमान : आत्मकथा प्रमुख है।