January 11, 2025

हाईकोर्ट की लताड़ के बाद हरकत में आया वित्त विभाग

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अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की कर्मचारी को देने पड़े 2 लाख रुपए
शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद वित्त विभाग ने अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग से जुड़ी महिला कर्मचारी कर्मचारी सुधा देवी को 2 लाख रुपए की अतिरिक्त राशि देने के आदेश दिए हैं। वित्त विभाग ने भविष्य में इस तरह कोताही न बरते जाने के आदेश भी दिए हैं। हाईकोर्ट की तरफ से इस आशय संबंधी आदेश समान काम के लिए समान वेतन व नियमितीकरण की मांग को लेकर दायर याचिका का निपटारा करने के दौरान दिए थेे। यह फैसला तत्कालीन प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के आदेशों को रद्द करते हुए सुनाया गया था, जिसमें 2 माह की अवधि के भीतर उपरोक्त राशि का भुगतान न करने की स्थिति में 7 फ ीसदी ब्याज देने को कहा था। हाईकोर्ट ने मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन करते समय पाया कि याचिकाकर्ता को जिला सांख्यिकी अधिकारी कार्यालय शिमला में 20 मई, 2002 को अंशकालिक कार्यकर्ता के रुप में नियुक्त किया गया था। वर्ष, 2007 के बाद कार्यालय ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भारी कमी महसूस की। एक कर्मी की सचिवालय में तैनाती होने के कारण वह जिला सांख्यिकी अधिकारी कार्यालय में कर्तव्यों का निर्वहन करने में संभव नहीं था, जिस कारण इस कार्यालय के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता से कार्यालय का अतिरिक्त कार्य लेना शुरू कर दिया। उपलब्ध आधिकारिक पत्राचार के अनुसार याचिकाकर्ता को डायरी-प्रेषण कार्य, कार्यालय को खोलना व बंद करना और कार्यालय से संबंधित अन्य विविध कार्य करने पड़े। याचिकाकर्ता से अतिरिक्त काम लेने का यह तथ्य उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया गया था। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की कमी के चलते जिला सांख्यिकी अधिकारी शिमला कार्यालय में इसकी तैनाती का आग्रह किया गया था। पत्राचार रिकॉर्ड के अनुसार जिला सांख्यिकी अधिकारी को आर्थिक सलाहकार हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस प्रकार की पत्र भेजने के लिए फ टकार लगाई थी, लेकिन तथ्य यही रहा कि याचिकाकर्ता से वर्ष, 2007 से 06.06.2012 तक उसकी सामान्य ड्यूटी के अलावा अतिरिक्त काम लिया गया था। ऐसे में हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता से वर्ष, 2007 से 06.06.2012 तक सामान्य ड्यूटी घंटों से अधिक काम लिया गया। याचिका के लंबित रहते विभाग ने प्रार्थी को खुद ही नियमित कर दिया था। ऐसे में न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को 2 लाख रुपए उपरोक्त अवधि के दौरान किए गए अतिरिक्त कार्य की एवज में देना न्यायसंगत होगा।

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