नशे के कारोबार पर प्रहार के लिए आई पॉलिसी
शिमला : नशे के कारोबार पर प्रहार करने के उद्देश्य से लाई गई हिमाचल प्रदेश इन्टेग्रेटिड ड्रग प्रिवेंशन पॉलिसी को राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसका उद्देश्य राज्य में नशीलें पदार्थों की तस्करी, मादक द्रव्यों का दुरुपयोग, नशीले पदार्थों की खेती (भांग/अफीम इत्यादि), उत्पादन और खपत की गम्भीर समस्या को रोकना है। इस पॉलिसी को मंत्रिमंडल से पहले ही मंजूरी मिलने के बाद आबकारी एवं कराधान विभाग की ओर से इस बारे अधिसूचना जारी कर दी गई है। सरकार की तरफ से स्वीकृत पॉलिसी की खास बात यह है कि इससे केंद्र व पड़ौसी राज्य मिलकर बहु-स्तरीय सहयोग तंत्र को विकसित किया जाएगा। पॉलिसी का उद्देश्य जब्ती के आंकड़े, संयुक्त दवा कानून प्रवर्तन संचालन और संयुक्त पूछताछ केंद्र की स्थापना द्वारा बहु-स्तरीय सहयोग तंत्र के तहत अन्तर सरकारी और अन्तर एजैंसी समन्वय को मजबूत करना भी है। पॉलिसी के तहत नशे की लत छुड़ाने के लिए पुनर्वास केंद्रों पर ध्यान दिया जाएगा। इसको लेकर संयुक्त टास्क फोर्स भी गठित की जाएगी, जो राज्य एवं जिला स्तर पर तालमेल से काम करेगी। साथ ही हिमाचल प्रदेश नशा निवारण बोर्ड को इसकी क्वाटरली रिपोर्ट भी देगी। यानि मिशन : डिवेल्पमैंट फॉर ड्रग कंट्रोल के तहत काम होगा। पॉलिसी में ग्राम स्तर पर कमेटियों को गठित करने की बात भी कही गई है। इस पॉलिसी को क्रियान्वित करने के लिए आबकारी एवं कराधान विभाग नोडल डिपार्टमैंट के रुप में काम करेगा। शिक्षण संस्थानों में नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से नो ड्रग्स जोन भी बनाए जाएंगे और जागरुकता कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को अलग से जागरुक किया जाएगा। पॉलिसी का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त करना है, जिसमें पंचायत स्तर से लेकर नशे के खिलाफ तंत्र विकसित करने की बात कही गई है।