आउटसोर्स कर्मचारियों को बजट में लिया जा सकता है नीतिगत निर्णय
शिमला : आउटसोर्स कर्मचारियों पर राज्य सरकार की तरफ से आगामी बजट में कोई नीतिगत फैसला लिए जाने की संभावना है। हालांकि अब तक सरकार करीब 120 से अधिक आउटसोर्स कंपनियों से कर्मचारियों का डाटा एकत्र नहीं कर पाई है। इस कारण आउटसोर्स पर लगे कर्मचारियों की सही संख्या की जानकारी अब तक सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। जानकारी के अनुसार विभिन्न सरकारी विभागों, निगामें व बोर्ड में करीब 30 हजार कर्मचारी आउटसोर्स पर सेवाएं दे रही हैं। आरोप है कि सेवा प्रदान करनी वाली ऐसी कुछ कंपनियां आउटसोर्स पर सेवाएं देने वाले कई कर्मचारियों को 10 हजार रुपए से भी कम वेतन दे रही है। इसके अलावा ई.पी.एफ. काटने में भी गड़बड़ी की शिकायत सामने आई है। यानि कई जगह कंपनियों की तरफ से ई.पी.एफ. काटने में देरी की गई तथा कुछ जगह दोनों शेयर ही कर्मचारियों से काट लिए गए। इसके अलावा कर्मचारियों को कभी महीने में 10 तारीख तो कभी 20 तारीख को वेतन मिल रहा है।
कांग्रेस-भाजपा सरकार ने क्या किया
पूर्व कांग्रेस सरकार के समय भी आउटसोर्स कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे। बाद में सरकार के अंतिम वर्ष में होटल पीटरहॉफ में आउटसोर्स कर्मचारियों के सम्मेलन में उनके लिए नीति बनाए जाने का आश्वासन दिया था। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने भाग लिया था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र ङ्क्षसह को आमंत्रित किया गया था। इसके बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हो पाई। उधर, वर्तमान भाजपा सरकार ने चुनावी वर्ष पर प्रवेश करने से पहले आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए जल शक्ति मंत्री महेंद्र ङ्क्षसह ठाकुर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। इस कमेटी में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज एवं ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी को भी शामिल किया गया है। यह कमेटी अब तक आउटसोर्स कंपनियों से कर्मचारियों का डाटा एकत्र करने में जुटी है, ताकि उनको लेकर कोई नीतिगत फैसला लिया जा सके।
क्या कहता है कर्मचारी महासंघ
हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने सरकार से मांग की कि आउटसोर्स कर्मचारियों को शोषण से बचाया जाए। उन्होंने कहा कि महासंघ के कहने पर सरकार ने कैबिनेट सब कमेटी गठित की है, जिसका महासंघ स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि वह अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष महेंद्र ङ्क्षसह ठाकुर से मिलकर अपना पक्ष रख चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस समय राज्य में आउटसोर्स पर सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को न तो समय पर वेतन मिल रहा है और न ही यह वेतन पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि कई जगह ई.पी.एफ. काटने में भी गड़बड़ी की शिकायतें मिली है और कई कर्मचारी 10 हजार रुपए से भी कम वेतन ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को कर्मचारियों की सेवाएं अनुबंध पर लाने के अलावा उन्हें नियमित करने को लेकर नीतिगत फैसला लेना चाहिए।
क्या कहते हैं शहरी विकास मंत्री
शहरी विकास मंत्री एवं कमेटी के सदस्य सुरेश भारद्वाज का कहना है कि राज्य सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों को संरक्षण प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कमेटी की तरफ से आउटसोर्स पर सेवाएं देने वाले कर्मचारियों के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं, जिसके बाद कोई नीतिगत फैसला लिया जाएगा।