वर्ष, 2027 में हिमाचल विधानसभा प्रारुप बदलने की संभावनाएं कम

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शिमला : वर्ष, 2027 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का प्रारुप बदलने की संभावनाएं कम है। यह खबर नेताओं को राहत प्रदान करने वाली है, क्योंकि इससे उनके वर्तमान विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन नहीं होगा। हालांकि इसके चलते राज्य विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण की आस लगाई बैठी महिलाओं का इंतजार बढ़ जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश के बर्फबारी और कठिन क्षेत्रों में जनगणना 1 अक्तूबर, 2026 तथा शेष क्षेत्रों में यह कार्य मार्च, 2027 में शुरू होगा। जनगणना करवाने के संदर्भ में भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसमें भारत की जनगणना का वर्ष, 2027 बताया गया है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव वर्ष, 2027 में होने है। ऐसे में जब प्रदेश में जनगणना कार्य पूरा नहीं होगा, तो उस स्थिति में विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन एवं महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने जैसे कार्य होने की संभावनाएं कम है। अब तक राज्य में विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्सीमांकन करने के लिए परिसीमन आयोग को लेकर भी बात आगे नहीं बढ़ पाई है। भविष्य में जब भी हिमाचल प्रदेश में पुनर्सीमांकन होगा तो इसी प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। इसको लेकर आयोग सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों से चर्चा करेगा।
हिमाचल प्रदेश में भविष्य में जनगणना के आंकड़े आने के बाद ही विधानसभा क्षेत्रों का प्रारुप बदलेगा। इसके लिए परिसीमन आयोग गठित होगा, जो नए आंकड़ों के आधार पर सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित करेगा। इसी तरह संसद से विधेयक पारित होने के बाद निकट भविष्य में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया जाना है, जिसके लिए भी जनगणना के नए आंकड़ों का इंतजार करना होगा। भविष्य में विधानसभा की सीटों की संख्या बढऩे की संभावनाएं भी है।
पुनर्सीमांकन के आधार विधानसभा क्षेत्र के नाम भी बदलेंगे। ऐसी संभावना है कि पुनर्सीमांकन प्रशासनिक इकाई यानी एस.डी.एम. कार्यालय को ध्यान में रखकर होगा।