तबादला रुकवाने के लिए सीधे न्यायालय नहीं जा सकेंगे कर्मचारी

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शिमला : राज्य सरकार ने कर्मचारियों के तबादलों को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत कर्मचारी अब अपना तबादला रुकवाने के लिए सीधे न्यायालय का रुख नहीं कर सकेगा। नए दिशा-निर्देश के अनुसार कर्मचारियों को व्यापक मार्ग दर्शक सिद्धांत (सी.जी.पी.)2013 के तहत किए प्रावधानों का पालन करना होगा। इसके अनुसार तबादले के बाद सीधे न्यायालय का रुख करने से पहले कर्मचारी को संबंधित अधिकारी या विभागाध्यक्ष के समक्ष अपना पक्ष रखना होगा। इस पक्ष को अभ्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन) के माध्यम से रखा जा सकेगा, जिसका संबंधित अधिकारी को 30 दिन के भीतर निपटारा करना होगा। इसके लिए सरकार ने सी.जी.पी. में 22 ए धारा को जोड़ा है, जिसमें तबादला होने की स्थिति में कर्मचारी को पहले अपने नए स्टेशन पर कार्यभार ग्रहण करना होगा। इसके बाद वह अपने विभागाध्यक्ष के समक्ष पक्ष रखेगा। तबादला रद्द होने की स्थिति में कर्मचारी का पुराना स्टेशन बहाल होगा, अन्यथा उसे नए स्टेशन पर ही कार्य करना होगा। सरकार की तरफ से यह निर्णय इसलिए लिया गया है, ताकि सरकारी कामकाज प्रभावित नहीं हो। यानी अब कर्मचारी विभागीय स्तर पर तमाम प्रक्रिया के बाद ही तबादला रद्द करवाने के उद्देश्य से न्यायालय जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में हर वर्ष हजारों की संख्या में कर्मचारियों के तबादले होते हैं। इसमें शिक्षकों का बड़ा वर्ग शामिल है, जिसे मुख्य रुप से 3 वर्ष के बाद दूसरे स्टेशन पर अपनी सेवाएं देनी होती है। अपने तबादले से नाखुक कई बार शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी न्यायालय का रुख करते हैं। इसकी एवज कर्मचारियों को जहां धन की हानि होती है, वहीं सरकारी कामकाज भी प्रभावित होता है।