राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर सम्बोधन
शिमला : इस सुन्दर कैम्पस में आज आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध शिमला में अध्ययन करना आप सबके लिए एक सुखद अनुभव रहा होगा। आज डिग्री प्राप्त कर रहे सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं।
यह दीक्षांत समारोह आपके माता-पिता, प्रियजनों और सभी शिक्षकों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। आपकी अब तक की जीवन यात्रा में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। मैं उन सभी के योगदान की सराहना करते हुए उनको विशेष बधाई देती हूं।
वर्ष 1970 में स्थापित हुए इस विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक अत्यंत प्रभावशाली भूमिका निभाई है। इस संस्थान के पूर्व छात्रों ने कला, चिकित्सा, न्यायपालिका, खेल-कूद, समाज सेवा, राजनीति और प्रशासन सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी विशेष छाप छोड़ी है। मुझे पूरा विश्वास है कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और शिक्षकों के मार्गदर्शन में आप सभी सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे तथा हिमाचल प्रदेश और पूरे भारत का मस्तक ऊंचा करेंगे।
देवियो और सज्ज्नो,
हिमाचल की यह धरती तप और त्याग तथा अध्यात्म और धर्म की पावन भूमि है। इस धरती ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अनगिनत वीरों को जन्म दिया है। महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस भूमि से आकर्षित होकर यहां पर प्रवास के लिए आए थे। लम्बे समय तक देश का ‘Summer Capital’ शिमला का भारतीय जनमानस के हृदय में एक विशेष स्थान है। देश के कई भागों में अचानक ठण्ड बढ़ने पर लोग अक्सर आम बोलचाल में कहते है कि, “आज मौसम शिमला की तरह हो गया है!”
लेकिन आज जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इस क्षेत्र की ecology पर भी पड़ रहा है। ऐसी परिस्थितियों में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह स्थानीय समुदाय की जरूरतों और इस क्षेत्र के ecological challenges को ध्यान में रख कर research और innovation को बढ़ावा दे और विकास के लिए पर्यावरण अनुकूल समाधान विकसित करने में योगदान दें। हिमालय का यह क्षेत्र, जीव-जन्तुओं और विभिन्न प्रकार की समृद्ध वनस्पतियों से भरपूर है। राज्य की समृद्ध प्राकृतिक विरासत का संरक्षण करते हुए sustainable development के लक्ष्य की ओर सरकार और सभी stakeholders को मिलकर आगे बढ़ना है।
देवियो और सज्ज्नो,
आज समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। महिलाओं की उन्नति को देख कर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। मेरा मानना है कि महिलाओं के विकास में ही देश का विकास है और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में महिलाओं का योगदान एक अहम भूमिका निभाएगा। इस लक्ष्य के लिए सभी महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना पहला और बहुत महत्वपूर्ण कदम है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हिमाचल विश्वविद्यालय में पढ़ रहे लगभग एक लाख विद्यार्थियों में से 70 प्रतिशत लड़कियां हैं। आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले लगभग 100 विद्यार्थियों में से 70 लड़कियां हैं। और मुझसे पदक प्राप्त करने वाले दस विद्यार्थियों में से भी सात लड़कियां हैं। शिक्षा में हमारी बेटियों की यह प्रतिभा देख कर मुझे बहुत गर्व होता है।
एक अच्छा शैक्षिक संस्थान वह है जहां प्रत्येक विद्यार्थी का स्वागत किया जाता है और उसके सम्पूर्ण विकास के लिए एक सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण प्रदान किया जाता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विश्वविद्यालय में दिव्यांग विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा और हॉस्टल की सुविधाएं प्रदान की जा रही है। दिव्यांग विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा में higher enrolment के लिए की गयी यह एक सराहनीय पहल है। इसके साथ ही हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि इस विश्वविद्यालय के सभी कैंपस परिसर दिव्यांग-जनों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सक्षम हो।
देवियो और सज्जनो,
हिमाचल प्रदेश के इस क्षेत्र का हमारे देश की कृषि, विशेष तौर पर organic farming में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। इसी महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति भवन में मुझे हिमाचल प्रदेश के निवासी नेक राम शर्मा को पद्म श्री से सम्मानित करने का अवसर मिला। वे कई दशकों से किसानों को रसायन मुक्त खेती करने और बीजों की पारंपरिक किस्में अपनाने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। मैं चाहूंगी कि हिमाचल के हमारे किसान भाई-बहन ‘organic farming’ के क्षेत्र में और तेज गति से बढ़ते हुए नए मापदंड स्थापित करें। मैं चाहती हूं कि आपका विश्वविद्यालय रिसर्च, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के माध्यम से सरकार के साथ मिलकर किसानों को अच्छी और affordable तकनीक उपलब्ध कराएं।
देवियो और सज्जनो,
आधुनिक भारत के सबसे बड़े शिक्षाविदों में से एक, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने एक दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा था (and I quote),“ Any satisfactory system of education should aim at balanced growth of the individual and insist on both knowledge and wisdom. ज्ञानम्, विज्ञान-सहितम्। It should not only train the intellect but bring grace into the heart of man.” (unquote) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी इसी भावना के साथ इक्कीसवीं सदी के विद्यार्थियों के समग्र और बहु-आयामी विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
हमारे संविधान में कहा गया है कि यह हर नागरिक का मूल कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण यानी scientific temper, मानव-वाद यानी humanism और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना यानी the spirit of inquiry and reform का विकास करे। आज आप सभी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जीवन के एक नए चरण में प्रवेश कर रहे है। मैं चाहती हूं कि आप सभी विद्यार्थी अपने निजी लक्ष्यों को राष्ट्रीय लक्ष्यों से जोड़े और अपने चुने हुए क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देश के विकास में अपना योगदान दें।
प्यारे विद्यार्थियों,
आज, हमारे युवा अपनी प्रतिभा के बल पर पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ रहे हैं, और अग्रणी कम्पनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। आज के अनेक युवा start-ups स्थापित कर रहे हैं, तथा सफलता के शानदार प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। Innovation ही इन start-ups की मुख्य विशेषता है। कुछ दिन पहले मैंने राष्ट्रपति भवन में Festival of Innovation and Entrepreneurship के दौरान grassoot innovators को पुरस्कृत करना का अवसर मिला। वहां युवाओं की creativity, innovation और entrepreneurship को देख कर मैं बहुत प्रभावित हुई।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने भी Incubation Centers की स्थापना करके युवाओं में entrepreneurship की भावना को प्रोत्साहित करने की पहल की है। मैं चाहूंगी कि आप सभी छात्र, अपनी प्रतिभा से जन सामान्य की समस्याओं और इस क्षेत्र के पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए sustainble, practical और affordable समाधान निकाले।
अंत में, मैं एक बार फिर आप सभी को डिग्री प्राप्त करने पर बहुत-बहुत बधाई देती हूं और आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगल कामना करती हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
जय भारत!
जय हिमाचल!