राष्ट्र को समर्पित करोड़ों लोगों की प्रेरणा हैं अटलः राज्यपाल
पुण्यतिथि पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धासुमन अर्पित किए
शिमला : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय मेें ‘पुण्य स्मरण’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने की।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि एक साधारण व जमीन से जुड़े व्यक्तित्व अटल ने देश का नाम दुनिया मेें प्रज्ज्वलित किया। आज केवल ‘अटल’ शब्द ही इतना व्यापक है कि कोई भी उस महान व्यक्ति को याद कर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि अटल ने राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत किया। ऐसे राष्ट्रभक्त का पुण्य स्मरण आवश्यक है ताकि भावी पीढ़ी में राष्ट्र भावना का संचार किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके विचारों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करना हो या फिर पोखरण विस्फोट, हर मोर्चे पर उन्होंने दुनिया को अपनी ताकत का आभास दिया। उन्होंने अपनी संस्कृति, सभ्यता और उच्च परम्पराओं का आदर्श दुनिया में स्थापित किया।
आर्लेकर ने कहा कि वह आधुनिक युग के भागीरथ थे, जिन्होंने ‘नदी जोड़ परियोजना’ के माध्यम से देश के सुखे व बाढ़ को दूर करने का प्रयास किया। इसके अलावा, स्वर्णिम चतुर्भुज भारत का एक प्रसिद्ध राजमार्ग है जो कई औद्योगिक, सांस्कृतिक एवं कृषि संबंधी नगरों को जोड़ता है। यह परियोजना भी अटल ने आरम्भ की थी। उन्होंने कहा कि श्री अटल के जन्मदिवस को गुड-गवर्नेस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि उनका मानना था कि गवर्नेस लोगों के लिए होती है। उन्होंने कहा कि सही अर्थों में श्री अटल ने हमारी विदेश नीति को गुटनिर्पेक्ष पर केंद्रित किया।
उन्होंने कहा कि वह उदारवादी थे और जीवन में उच्च मूल्यों को कभी नहीं छोड़ा। वह अपने भाषणों से करोड़ो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। उनकी विचारधारा प्रखर राष्ट्रवादी थी, जिसने राष्ट्र को समर्पित करोड़ों लोगों को प्रेरणा दी। वह अपने उद्बोधन में अक्सर कहा करते थे, ‘‘यह देश ज़मीन का टुकड़ा मात्र नहीं है, बल्कि जीता जागता राष्ट्र पुरूष है। इस पावन धरती का कंकर-कंकर शंकर है, बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है। भारत के लिए हंसते-हंसते प्राण न्योछावर करने में गौरव और गर्व का अनुभव करूंगा।’’ उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि अटल जी के सपनों को साकार कर नये भारत का निर्माण किया जाए और नई पीढ़ी तक उनके विचारों को पहुंचाया जाए।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के परिसर मेें स्थापित श्री अटल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि अटल जी का हिमाचल से विशेष लगाव था। उन्होंने कहा कि अटल टनल वाजपेयी जी की देन है और प्रीणी से जुड़ी उनकी स्मृतियां हमेशा याद रहेंगी। उन्होंने कहा कि वह मानवतावादी सोच के पोषक थे और अपने पुराने साथियों को कभी नहीं भुलते थे। उन्होंने लाहुल-स्पीति के ठेलंग वासी अर्जुन गोपाल और अपने पिता कुंजलाल के साथ वाजपेयी के संबंधों को भी याद किया।
उन्होंने कहा कि अटल उच्च व्यक्तित्व के धनी, कोमल हृदय, आदर्श नेता थे। शासक और शासन में कैसा तालमेल होना चाहिए यह अटल के जीवन से सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र से उनका विशेष लगाव रहा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में वाजपेयी जी के आदर्श सहायक होंगे।
कार्यक्रम के वशिष्ठ अतिथि एवं भाजपा के संगठन महामंत्री श्री पवन राणा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एक दूरदृष्टा नेता थे और उन्होंने राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में कार्य किया। उन्होंने कहा कि वह ऐसे विकास पुरूष थे, जिन्होंने देश को एक सूत्र में बांधने के लिए नदियों और सड़कों के माध्यम से देश को जोड़ने का प्रयास किया। देश को परवाणु शक्ति बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उन्होंने कहा कि आज हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें तीन बार अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वह एक शिक्षाविद के साथ-साथ अच्छे वक्ता भी थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर अटल द्वारा देश को दिए गए योगदान को याद किया तथा कहा कि ऐसे युग पुरूष की याद मेें विश्वविद्यालय में सबके सहयोग से उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है।
कुल सचिव सुनील शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. अरविंद कालिया, अधिष्ठाता, निदेशक और प्राचार्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।